Direct benefit transfer: सरकार के लिए कोरोनावायरस (Coronavirus) संकट के दौरान जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाने में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) सिस्टम एक कारगर हथियार साबित हुआ है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, इसका पता इस बात से चलता है कि 24 मार्च 2020 से 17 अप्रैल 2020 तक की लॉकडाउन अवधि के दौरान डीबीटी प्रणाली (DBT System) के जरिये 16.01 करोड़ लाभार्थियों और जरूरतमंदों के बैंक खातों में 36,659 करोड़ रुपये डाले जा चुके हैं.

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वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) की रविवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार यह पैसा मजबूत डिजिटल भुगतान प्रौद्योगिकी लोक वित्त प्रबंधन प्रणाली (PFMS) के माध्यम से डीबीटी के जरिये सीधे लाभार्थियों के खाते में डाले गए हैं. यह राशि केंद्रीय योजनाओं/केंद्र प्रायोजित योजनाओं के अलावा राज्य सरकारों की योजनाओं के तहत दी गई है.

मंत्रालय के अनुसार कुल 36,659 करोड़ रुपये से अधिक राशि 16.01 करोड़ लाभार्थियों को कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये जारी बंद (24 मार्च से 17 अप्रैल) के दौरान दिये गये. कुल राशि में से 27,442 करोड़ रुपये केंद्र प्रायोजित योजनाओं और केंद्रीय योजनाओं के लिये तथा 9,717 करोड़ रुपये राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत डीबीटी माध्यम से कुल 16.01 करोड़ लाभार्थियों के खाते में डाली गई है.

मंत्रालय के ब्योरे के अनुसार केंद्र प्रायोजित और केंद्रीय योजनाओं से जुड़े लाभार्थियों की संख्या 11.42 करोड़ जबकि राज्यों की विभिन्न योजनाओं से संबद्ध लाभार्थियों की संख्या 4.59 करोड़ रही. डीबीटी भुगतान के लिये पीएफएमएस का उपयोग काफी बढ़ा है. डीबीटी के जरिये वितरित राशि 2019-20 में बढ़कर 45 प्रतिशत हो गयी है जो 2018-19 में 22 प्रतिशत थी.

डीबीटी से जहां एक तरफ नकद राशि सीधे लाभार्थी के खाते में जाती है वहीं गड़बड़ियों पर अंकुश लगता है और दक्षता बढ़ती है. केंद्रीय या केंद्र प्रायोजित जिन योजनाओं के लिये डीबीटी माध्यम से भुगतान किया गया, उसमें पीएम किसान, महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (MNREGA), राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP), प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY), राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM), राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और राष्ट्रीय स्कॉलरशिप पोर्टल के जरिये विभिन्न मंत्रालयें की ‘स्कॉलरशिप’ योजना शामिल हैं.

इसके अलावा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना पैकेज के तहत घोषित नकद भुगतान भी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिये किया जा रहा है. महिला जनधन खाताधारकों के खाते में 500-500 रुपये डाले जा रहे हैं. वित्तीय सेवा विभाग के आंकड़े के अनुसार 13 अप्रैल 2020 तक कुल 19.86 करोड़ महिला खाताधारकों के खाते में 9,930 करोड़ रुपये डाले गये हैं.

मंत्रालय के अनुसार कोरोना वायरस के दौरान उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर, आंध्र प्रदेश और अन्य राज्यों ने डीबीटी के माध्यम से लाभार्थियों के खाते में पैसे डाले हैं. आंकड़ों के अनुसार राज्य सरकारों ने पीएफएमएस का उपयोग कर 4.59 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को 9,217.22 करोड़ रुपये का लाभ 24 मार्च से 17 अप्रैल के बीच दिया है.

वित्त मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम किसान योजना के अंतर्गत 8,43,79,326 लाभार्थिययों को कुल 17,733.53 करोड़ रुपये दिये गये हैं. इस योजना के तहत लाभार्थी किसानों को साल में 2,000 रुपये की तीन किस्तों में कुल 6,000 रुपये दिये जाते हैं.

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इसी प्रकार मनरेगा के तहत 1,55,68,86 लाभार्थियों को 5,406.09 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है.राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत 10,98,128 लाभार्थियों को 280.80 करोड़ रुपये तथा प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत 7,58,153 लाभार्थियों को 209.47 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है.

उल्लेखनीय है कि 1 अप्रैल 2015 से वित्त मंत्रालय ने डीबीटी के तहत भुगतान, लेखा और रिपोर्टिंग के लिये पीएफएमएस के उपयोग को अनिवार्य कर दिया था. उसने सभी मंत्रालयों और विभागों को यह सुनिश्चित करने को कहा था कि डीबीटी योजनाओं के तहत कोई भी भुगतान का प्रसंस्करण तब तक नहीं होगा जब तक ऐसे भुगतान के लिये इलेक्ट्रॉनिक भुगतान फाइल पीएफएमएस के जरिये प्राप्त नहीं हो.