बीते कुछ समय से साइबर फ्रॉड की घटनाएं काफी तेजी से बढ़ी हैं. तमाम लोग इसका शिकार बनकर अपना काफी नुकसान करवा चुके हैं. इस तरह की घटनाओं को काबू करने के लिए सरकार ने एक बड़ा एक्‍शन लिया है. साइबर फ्रॉड पर लगाम कसने के लिए गृह मंत्रालय की I4C विंंग ने दूरसंचार विभाग के साथ मिलकर दक्षिण-पूर्व एशिया के साइबर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले 17,000 व्हाट्सएप अकाउंट को ब्‍लॉक कर दिया है. बता दें कि I4C साइबर और डिजिटल क्राइम निषेध पर काम करने वाला संगठन है, जो गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम करता है.

डिजिटल अरेस्‍ट में शामिल थे ज्‍यादातर नंबर

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जानकारी के मुताबिक कंबोडिया और म्यांमार और लाओस से चल रहे डिजिटल अरेस्ट और साइबर फ्राड संबधित कॉल सेंटर की जांच लंबे समय से एजेंसियां कर रही थीं. अभी जिन नंबरों पर पर कार्रवाई की गई .उनमें से 50 प्रतिशत से ज्‍यादा नंबर तो जनवरी 2024 में ही शुरू हुए थे. इन नंबरों के जरिए कई सारे फ्रॉड किए गए. ज्‍यादातर इसमें ‘डिजिटल अरेस्‍ट' के मामले शामिल थे. ज्यादातर नंबर कंबोडिया, म्यामांर लाओस,और थाईलैंड से एक्टिव थे. 

क्‍या है डिजिटल अरेस्‍ट

साइबर क्राइम का यह बिलकुल नया तरीका है, जिसमें स्कैमर्स पुलिस, सीबीआई या कस्टम का अधिकारी बनकर आपको कॉल करते हैं और डराकर घर पर ही बंधक बना लेते हैं. फर्जी अ‍धिकारी बनकर स्‍कैमर्स ये दावा करते हैं कि आपके पैन और आधार का इस्तेमाल करके कुछ किया गया है या मनी लॉन्ड्रिंग की गई है. आपके नाम से कोई पार्सल आया है जिसमें ड्रग्स या प्रतिबंधित चीजें हैं. इस बीच वो वीडियो कॉल पर लगातार बने रहने के लिए कहते हैं. इन सब बातों से पीड़‍ित व्‍यक्ति इतना डर चुका होता है कि वो उन सारी बातों को सच मान बैठता है और जैसा स्‍कैमर्स कहते हैं, उनकी बातों में आकर सब करता रहता है. इसके बाद डिजिटल अरेस्‍ट के शिकार व्‍यक्ति से पैसे ऐंठने का खेल शुरू होता है. 

पीएम मोदी मन की बात में कर चुके हैं जिक्र

भारत में बीते कुछ समय से डिजिटल अरेस्‍ट की घटनाएं बहुत तेजी से बढ़ी हैं. पीएम मोदी ने डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड को लेकर मन की बात कार्यक्रम में जिक्र किया था. पीएम ने कहा था कि कभी कोई ऐसा कॉल आए तो डरना नहीं चाहिए. याद रखिए कि कोई भी जांच एजेंसी फोन पर पूछताछ नहीं करती है. पीएम ने डिजिटल सुरक्षा के तीन चरण बताए थे - रुको, सोचो, एक्शन लो. साथ ही पीएम ने ऐसी किसी घटना का अंदेशा होने पर राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 और साइबर क्राइम की वेबसाइट पुलिस को सूचित करने की बात कही थी.