Guidelines on monkeypox: कुछ देशों में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के बीच, केंद्र सरकार ने मंगलवार को इस लेकर गाइडलाइंस जारी की. इसमें जिला निगरानी यूनिट को इस तरह के एक भी मामले को प्रकोप के रूप में मानने और इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम के जरिए डीटेल जांच शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जारी किए गए ‘मंकीपॉक्स रोग के प्रबंधन पर दिशानिर्देश’ में स्वास्थ्य मंत्रालय ने निगरानी और नए मामलों की तेजी से पहचान पर जोर दिया. प्रकोप की रोकथाम के लिए प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों के रूप में मानव-से-मानव तक ट्रांसमिशन के जोखिम को कम करने की जरूरत को अनिवार्य करता है. 

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भारत को तैयार रहने की जरूरत

इसमें कहा गया है कि गैर-स्थानिक देशों (non-endemic countries) में बढ़ते मामलों के मद्देनजर भारत को तैयार रहने की जरूरत है, भले ही देश में अब तक मंकीपॉक्स वायरस का कोई मामला सामने नहीं आया है. गाइडलाइंस में मामलों और इन्फेक्शन के समूहों और इन्फेक्शन के सोर्सेज की जल्द से जल्द पहचान करने के लिए एक निगरानी स्ट्रैटेजी का प्रस्ताव दिया गया है. जिससे आगे ट्रांसमिशन को रोकने के लिए मामलों को अलग किया जा सके. इष्टतम क्लीनिकल ​​देखभाल (optimum clinical care) हो सके, संपर्कों की पहचान और प्रबंधन किया जा सके. फ्रंट लाइन के हेल्थ वर्कर्स की रक्षा की जा सके और इसके साथ ही ट्रांसमिशन के पहचाने गए रूट्स के आधार पर प्रभावी नियंत्रण और उपाय किया जा सके.

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मामलों पर भारत की कड़ी नजर

मंकीपॉक्स को कई मध्य और पश्चिमी अफ्रीकी देशों जैसे कैमरून, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कोटे डी आइवर, कांगो , गैबन, लाइबेरिया, नाइजीरिया, कांगो गणराज्य और सिएरा लियोन में स्थानिक बीमारी के रूप में सूचित किया गया है. हालांकि, अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ऑस्ट्रिया, इज़राइल और स्विटजरलैंड जैसे कुछ गैर-स्थानिक देशों में भी मामले सामने आए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि वह विकसित हो रही स्थिति पर कड़ी नजर बनाए हुए है.