Stock limits on edible oils, oilseeds: मौजूदा वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति के कारण खाद्य तेल-तिलहनों की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के मकसद से सरकार ने ए़डिबल ऑयल और तिलहनों के स्टॉक या भंडार रखने की सीमा को इस साल दिसंबर तक बढ़ा दिया है. एक सरकारी बयान में कहा गया है कि, इस संबंध में जारी आदेश एक अप्रैल से प्रभावी होगा. अक्टूबर 2021 में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने मार्च, 2022 तक स्टॉक सीमा लागू की थी. वहीं राज्यों को यह तय करने के लिए छोड़ दिया कि स्टॉक की सीमा उपलब्धता और खपत पद्धति पर आधारित होनी चाहिए या नहीं.

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इतनी है स्टॉक लिमिट

ताजा आदेश के मुताबिक, खाद्य तेलों की स्टॉक सीमा खुदरा विक्रेताओं के लिए 30 क्विंटल, थोक विक्रेताओं के लिए 500 क्विंटल, थोक उपभोक्ताओं के लिए यानी बड़ी खुदरा श्रृंखला वाले विक्रेताओं और दुकानों के लिए 30 क्विंटल और इसके डिपो के लिए 1,000 क्विंटल होगी. खाद्य तेलों के प्रसंस्करणकर्ता अपनी भंडारण/उत्पादन क्षमता के 90 दिनों तक का स्टॉक कर सकते हैं.

तिलहन के मामले में खुदरा विक्रेताओं के लिए स्टॉक रखने की सीमा 100 क्विंटल और थोक विक्रेताओं के लिए 2,000 क्विंटल होगी. तिलहन के प्रसंस्करणकर्ताओं को दैनिक उत्पादन क्षमता के अनुसार खाद्य तेलों के 90 दिनों के उत्पादन के लिए स्टॉक करने की अनुमति होगी.

निर्यातक, आयातक आदेश के दायरे से बाहर

निर्यातकों और आयातकों को कुछ चेतावनियों के साथ इस आदेश के दायरे से बाहर रखा गया है. बयान में कहा गया है कि, "उपरोक्त उपाय से बाजार में जमाखोरी, कालाबाजारी आदि पर अंकुश लगने की उम्मीद है, और खाद्य तेलों की कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी और यह भी सुनिश्चित होगा कि शुल्क में कमी का अधिकतम लाभ अंतिम उपभोक्ताओं को दिया जाए.’’ छह राज्यों, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान और बिहार - जिन्होंने केंद्र सरकार के आदेश के अनुसरण में अपना नियंत्रण आदेश जारी किया था को भी नवीनतम आदेश के दायरे में लाया गया है. 

सोयाबीन तेल की आपूर्ति प्रभावित

बयान में कहा गया है, ‘‘दुनिया भर में मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति के कारण सभी खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी के बारे में उच्चतम स्तर पर विचार-विमर्श के बाद उपरोक्त निर्णय लिया गया." रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के कारण खाद्य तेलों, विशेषकर सूरजमुखी तेल की आपूर्ति पर दबाव पड़ने की आशंका है.

इसमें कहा गया है कि इसके अलावा दक्षिण अमेरिका में फसल के नुकसान की चिंताओं ने सोयाबीन तेल की आपूर्ति को प्रभावित किया है. जिस वजह से अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी का रुझान दिखा है. अंतरराष्ट्रीय सोयाबीन तेल की कीमतों में महीने भर में 5.05 प्रतिशत और साल के दौरान 42.22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.