देश में सोने की मांग इस साल की दूसरी छमाही में करीब 25 प्रतिशत अधिक रहने की संभावना है. एसोचैम-वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट में यह बात कही गई है. इसमें कहा गया है कि इस बढ़ोतरी में इस बार किसानों की खास भूमिका होगी. दरअसल सरकार ने इस साल हाल में फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में इजाफा कर दिया है. इसे ग्रामीण भारत में क्रयशक्ति में मजबूती आएगी. ऐसे में सोने की मांग बढ़ सकती है.

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सालना 800-900 टन की है खपत

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोने का खरीदार है. इस बहुमूल्य धातु की भारत में सलाना खपत 800-900 टन है. देश की दो तिहाई सोने की मांग ग्रामीण क्षेत्रों से आती है. विश्लेषकों का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल दूसरी छमाही में सोने की मांग में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है. ऐसा देखा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश के रूप में सोने को लोग अधिक तवज्जो देते हैं.

हर दो परिवार में एक परिवार ने खरीदा सोना

रिपोर्ट में पिछले साल हुए ICE 360 के सर्वे के हवाले से कहा गया है कि सोना एक लग्जरी नहीं है, बल्कि गरीब आदमी भी सोना खरीदता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच साल में हर दो परिवार में एक परिवार ने सोने की खरीदारी की है. करीब 87 प्रतिशत परिवारों के पास कुछ न कुछ सोना है. यहां तक कि जो परिवार अपनी आय के सबसे निचले स्तर पर है, उसने भी कुछ न कुछ सोना खरीदा है.

अमीर परिवार खरीदते हैं ज्यादा सोना

अमीर भारतीय (शीर्ष 10 प्रतिशत) आम लोगों की तुलना में बहुत ज्यादा सोना खरीदते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल औसतन एक अमीर परिवार ने सोने की खरीदारी पर  30,298 रुपए खर्च किए हैं. यह निचले स्तर की आय वाले परिवार की तुलना में करीब आठ गुना अधिक है. गरीब परिवार या मध्यम परिवार आर्थिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सोना खरीदते हैं. खासकर बीमारी या पैसे की आपात जरूरत ध्यान में रहता है.

सोने का भंडार बढ़ा

केंद्रीय बैंकों ने वर्ष 2018 की पहली छमाही में अपने स्वर्ण भंडार में में 193.3 टन की शुद्ध बढ़ोतरी की है. यह उनकी ओर से पिछले साल इसी अवधि में शुद्ध रूप से खरीदे गए 178.6 टन सोने से 8 प्रतिशत अधिक है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक दुनिया में केंद्रीय बैंकों की ओर से सोने की मांग मजबूत बनी रहेगी.