भारतीय भाषाओं में डिजिटल स्टडी मटेरियल दें स्कूल और कॉलेज, भारत सरकार ने दी तीन साल की डेडलाइन
केंद्र सरकार ने स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों को अगले तीन साल के अंदर भारतीय भाषाओं में सभी पाठ्यक्रमों के लिए स्टडी मैटीरियल डिजिटल रूप से उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.
सभी सरकारी और उच्च शिक्षा के अंतर्गत सभी पाठ्यक्रमों के लिए स्टडी मटीरियल संविधान की 8वीं अनुसूची में सम्मिलित भारतीय भाषाओं में डिजिटल रूप से उपलब्ध कराई जाएगी. भारत सरकार ने स्टूडेंट्स को अपनी भाषा में पढ़ाई करने का अवसर देने करने के उद्देश्य से निर्णय लिया है. शिक्षा मंत्रालय द्वारा आज जारी एक आदेश में, सरकार ने सभी विद्यालयों और उच्च शिक्षा रेगुलेटर जैसे UGC,NCERT, NIOS, IGNOU और IIT के प्रमुखों को अगले तीन वर्षों में सभी पाठ्यक्रम भाषाओं में स्टडी मटेरियल उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.
UGC, AICTE के लिए सरकार ने जारी किए दिशा-निर्देश, राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारशों के मुताबिक लिया फैसला
भारत सरकार ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और स्कूल शिक्षा विभाग को भी राज्य के विद्यालयों और विश्वविद्यालयों के संबंध में मुद्दा उठाने के लिए कहा गया है. सरकार के ये दिशा निर्देश राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों से उभरते हैं, ताकि स्टूडेंट्स को अपनी भाषा में पढ़ाई करने और सीखने के बेहतर परिणाम मिल सकें. अपनी भाषा में पढ़ाई करने से विद्यार्थी को बिना किसी भाषाई बाधा के नए ढंग से सोचने का स्वाभाविक अवसर मिल सकता है.
AI के जरिए किया गया है अनुवाद, E-Kumbh पोर्टल पर उपलब्ध हैं किताबें
इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कानून, ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और कौशल पुस्तकों का अनुवाद आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) आधारित ऐप अनुवादिनी के जरिए किया जा रहा है. ये पुस्तकें ई-कुंभ पोर्टल पर उपलब्ध हैं. स्कूली शिक्षा इकोसिस्टम में भी दीक्षा पर 30 से अधिक भाषाओं सहित कई भारतीय भाषाओं में स्टडी मटेरियल उपलब्ध है. संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई), राष्ट्रीय पात्रता और प्रवेश परीक्षा (NIIT), संयुक्त विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) जैसी प्रतियोगी परीक्षाएं 13 भारतीय भाषाओं में आयोजित की जा रही हैं.
सरकार द्वारा बयान में कहा गया है कि अपनी भाषा में अध्ययन करने से छात्रों को बिना किसी बाधा के नवोन्मेषी ढंग से सोचने का स्वाभाविक मौका मिल सकता है. बयान में कहा गया है कि स्थानीय भाषाओं में सामग्री मिलने से 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में मदद मिलेगी.