Road Accident Golden Hour: दुनिया भर में सड़क हादसे में सबसे ज्यादा मौतें भारत में होती है. साल 2020 में डेढ़ लाख लोगों ने सड़क हादसों में अपनी जान गंवाई हैं, लेकिन सड़क हादसे में होने वाली मौतों से बचने के लिए केंद्र सरकार नए नियम लेकर आने वाली है. केंद्र सरकार मोटर व्हीकल एक्ट के तहत नया नियम ला रही है, जिसके जरिए सड़क हादसे के दौरान किसी भी पीड़ित का इलाज समय से हो जाए. इस नए मोटर व्हिकल एक्ट के अंतर्गत गोल्डन आवर ट्रिटमेंट फैसिलिटी जल्द लागू जाने वाली है.

गोल्डन आवर में मिलेगा कैशलैस इलाज 

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नए नियमों के अंतर्गत सड़क हादसों में शिकार लोगों को गोल्डन आवर ट्रिटमेंट कैशलैस दिया जाएगा और इसका भुगतान इंश्योरेंस कंपनियां और केंद्र सरकार करेगी. अगर इंश्योरेंस कवरेज वाली गाड़ी से दुर्घटना होती है तो पीड़ित के कैशलैस इलाज का भुगतान इंश्योरेंस कंपनियों के फंड से किया जाएगा और अगर दुर्घटना वाली गाड़ी बिना इंश्योरेंस कवरेज के है तो केंद्र सरकार के फंड से होगा.

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इसके अलावा हिट एंड रन के मामले में सॉलेशियम अकाउंट के जरिए भुगतान किया जाएगा. हाल में इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI ने इंश्योरेंस कंपनियों को हॉस्पिटल्स के साथ कैशलैस ट्रिटमेंट की छूट दी है इसके बाद छोटे शहरों में भी गोल्डन आवर कैशलैस ट्रिटमेंट फैसिलिटी सड़क दुर्घटना के मरीजों को मिल पाएगी. 

नेशनल हेल्थ अथॉरिटी नोडल एजेंसी नियुक्त

बता दें कि इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से नेशनल हेल्थ अथॉरिटी नोडल एजेंसी को नियुक्त कर दिया है. नेशनल हेल्थ अथॉरिटी हॉस्पिटल्स के साथ करार कर इलाज की दरें तय की जाएंगी. इंश्योर्ड व्हिकल और अनइंश्योर्ड व्हिकल के दो अलग-अलग फंड होंगे और ट्रिटमेंट क्लेम भुगतान जनरल इंश्योरेंस काउंसिल के जरिए होगा.

  

बता दें कि नेशनल हेल्थ अथॉरिटी की सिफारिश के आधार पर GI काउंसिल भुगतान करेगा. इंश्योर्ड गाड़ियों के अकाउंट के लिए जनरल इंश्योरेंस कंपनियां की मदद से फंड तैयार किया जाएगा. वहीं अनइंस्योर्ड गाड़ियां और हिट एंड रन मोटर एक्सीडेंट का अकाउंट केंद्र सरकार की मदद से बनेगा. IRDAI ने भी इंश्योरेंस कंपनियों को कैशलैस ट्रिटमेंट के लिए हॉस्पिटल्स को छूट दी है. इतना ही नहीं, छोटे शहरों के हॉस्पिटल्स भी कैशलैस गोल्डन आवर ट्रिटमेंट दे पाएंगे.

क्या होता है गोल्डन आवर ट्रिटमेंट?

  • दुर्घटना के बाद का अहम एक घंटा  
  • गोल्डन आवर में इलाज मिल जाए तो बच सकती है जान
  • घायलों को 'गोल्डन आवर' में सही इलाज न मिलने से हो जाती है मौत
  • हर दिन करीब 400 लोग सड़क हादसों में अपनी जान गवा देते हैं
  • एक्सीडेंट में होने वाली मौतों की एक बड़ी वजह शुरुआती घंटों में सही इलाज का ना मिलना है