ये कैसी बर्बादी है... 19 करोड़ लोगों के पास खाने को दाना तक नहीं और हर साल भारतीय 92 हजार करोड़ रुपए का खाना कर रहे हैं बर्बाद
आईसीएमआर की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 19 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें रोज तीन वक्त का भरपेट खाना नहीं मिलता. करीब 14 करोड़ लोग रात में भूखे पेट सो रहे हैं. नतीजतन, 5 साल की उम्र तक के 34 फीसदी बच्चे अपनी उम्र के हिसाब से कम वजन और हाइट वाले हैं.
भारत में जहां रोजाना कई लोग भूखे पेट दिन गुजार रहे हैं, उस देश में प्रति व्यक्ति हर साल 50 किलो खाना बर्बाद हो जाता है. भारत में खाने की बर्बादी का हिसाब अगर रुपयों में लगाया जाए तो हर साल भारतीय 92 हजार करोड़ रुपए का खाना बर्बाद कर रहे हैं. दुनियाभर के आंकड़ों पर नज़र डालेंगे तो दुनिया में हर साल इतना खाना बर्बाद होता है जिससे 3 अरब लोगों का पेट भरा जा सकता है. दुनिया में 2019 में 69 करोड़ टन खाना डस्टबिन में गया और उसी साल 69 करोड़ लोग भरपेट भोजन से दूर रहे और रातों को भूखे ही सो गए.
भारत में फूड वेस्ट पर काम करने वाली एनजीओ चिंतन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मौजूद कुल भोजन का 40 फीसदी भोजन बर्बाद हो जाता है. दिल्ली के एक बड़े सब्जी और फल सप्लाई आउटलेट्स पर किए गए एक सर्वे में एनजीओ ने पाया कि औसतन एक आउटलेट 18.7 किलो वेस्ट निकालता है. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल से पहले दुनिया में 93 करोड़ टन खाना बर्बाद हुआ यानी पूरी दुनिया का 17% खाना बेकार चला गया.
कौन करता है भोजन की बर्बादी?
दुनियाभर में बर्बाद होने वाले 93 करोड़ टन खाने में से 61 फीसदी भोजन घरों में बर्बाद होता है. इसके अलावा 23 फीसदी फूड सर्विस यानी रेस्टोरेंट में और 13 फीसदी खाना रिटेल चेन में बर्बाद हो गया. भारतीय संस्कृति में भोजन को अमृत और भोजन की बर्बादी को पाप माना जाता है. लेकिन केवल भारत में प्रति व्यक्ति औसतन 137 ग्राम हर दिन और सालाना 50 किलोग्राम खाना बर्बाद कर देता है. अमेरिका में 59 किलो और चीन में 64 किलो प्रति व्यक्ति भोजन साल भर में बर्बाद होता है.
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की स्थिति?
आईसीएमआर की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 19 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें रोज तीन वक्त का भरपेट खाना नहीं मिलता. करीब 14 करोड़ लोग रात में भूखे पेट सो रहे हैं. नतीजतन, 5 साल की उम्र तक के 34 फीसदी बच्चे अपनी उम्र के हिसाब से कम वजन और हाइट वाले हैं. आलम यह है कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global hunger index) की 107 देशों की लिस्ट में भारत 94 पायदान पर है.
मयूर विहार में बने क्राउन प्लाजा के एक रेस्टोरेंट के प्रवक्ता उल्लास ने कहा कि वो रोजाना की जरुरत को समझकर ही खाना बनवाते हैं। लेकिन अगर खाना बच जाए तो चाहकर भी उसे गरीबों में बांटना संभव नहीं है. क्योंकि फूड एंड बेवरेज इंडस्ट्री के नियमों के मुताबिक पकने के बाद भोजन को 2 से 5 घंटे में निपटाना जरुरी है. इसके बाद वो इंसानों के खाने लायक नहीं रहता. हालांकि, भूखे सोने वाले कई लोगों के लिए ये खाना सपने जैसा ही है. उल्लास ने कहा कि जो वेस्ट बचता है उससे खाद बनाकर खाने की बर्बादी कम करने की कोशिश की जाती है.
एक इंसान को रोजाना कितनी कैलोरी की जरुरत?
न्यूट्रीहेल्थ सिस्टम्स की न्यूट्रीशनिस्ट डॉ शिखा शर्मा के मुताबिक आमतौर पर एक इंसान को सेहतमंद रहने के लिए रोज़ाना 1500 से 2500 कैलोरी खाना खाने की जरुरत होती है। महिलाओं को थोड़ा कम, पुरुषों को थोड़ा ज्यादा और बाकी हिसाब किताब इस बात से तय होता है कि आप कितनी शारीरिक मेहनत करते है. लेकिन अगर किसी को कम से कम 500 कैलोरी भी मिल जाए यानी एक वक्त का खाना भी ठीक से मिले तो वो जीने के लिए न्यूनतम जरुरत जितना हो जाएगा.
चिंतन एनजीओ की डायरेक्टर राधिका चतुर्वेदी ने कहा कि भारत में कई लोगों को जरूरत भर का खाना भी नसीब नहीं है. खाने की बर्बादी रोककर हर साल 68 लाख करोड़ रुपए बचाए जा सकते हैं. क्योंकि इस बर्बाद खाने को निपटाना अपने आप में एक काम है।
हालांकि भारत में कुछ खाना स्टोरेज की सही व्यवस्था ना होने, बेहतर प्रोसेसिंग यूनिट्स की कमी और फूड आइट्मस ट्रांसपोर्ट करने वाली गाड़ियों में तापमान कंट्रोल ना होने की वजह से जल्दी सड़ जाता है. यानी सिस्टम में सुधार के साथ साथ हर इंसान को खुद में सुधार लाने की ज़रुरत है.
कैसे रोकें खाने की बर्बादी?
- थाली में उतना ही भोजन लें, जितना आप खा सकें
- बहुत सारा भोजन जमा करके ना रखें
- अपनी भूख से थोड़ा कम खाना खाया जाए तो सेहत के लिए फायदेमंद रहता है
- खाने की बर्बादी कम करके प्रदूषण भी कम किया जा सकता है. बता दें कि बर्बाद खाना 8-10% कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार होता है.