महाराष्ट्र का मशहूर हिल स्टेशन लोनावला जितना मशहूर अपनी खूबसूरती के लिए है, उतना ही वहां की चिक्की भी. यहां आने वाले सैलानी चिक्की खाते भी हैं और अपने दोस्तों के लिए पैक कर ले भी जाते हैं. लोनावला में कई चिक्की वाले हैं और इनमें सबसे पॉपुलर ब्रांड है मगनलाल चिक्की. लेकिन हैरानी की बात ये है कि महाराष्ट्र के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने मगनलाल की चिक्कियों को सेहत के लिए हानिकारक माना है.

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लोनावला की मशहूर मगनलाल चिक्की वालों के नागरगांव प्लांट में रोजाना दो हजार किलो से ज्यादा चिक्की का उत्पादन होता था. लेकिन मंगलवार से यहां चिक्की बनना बंद हो गई. दरअसल, महाराष्ट्र फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन को रूटीन चेकिंग के बाद नागरगांव प्लांट में कई खामियां मिलीं. 

एफडीए का कहना है कि प्लांट में लंबे वक्त से सुरक्षा और स्वास्थ्य मानकों की अनदेखी की जा रही थी. चिक्की बनाने वाली जगह बेहद गंदी थी. अधिकारियो को ये भी नहीं पता कि चिक्की बनाने में इस्तेमाल किया जा रहा पानी पीने के लायक भी है या नहीं.

टेस्टिंग लैब की जांच के बिना बन रही थी चिक्की

भारतीय खाघ संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) का निर्देश हैं कि किसी भी खान-पान बनाने वाली यूनिट के पास NABL से प्रमाणित टेस्टिंग लैब होना जरूरी है. ताकि समय-समय पर वहां बनाए जा रहे सामान की जांच की जा सके. लेकिन लगभग 100 करोड़ के टर्नओवर वाले मगनलाल चिक्की के पास न खुद की लैब है और न ही यहां बनने वाली चिक्कियों को जांच के लिए दूसरी किसी लैब में भेजा जाता था. 

मगनलाल ब्रांड्स के तहत चिक्की के अलावा, जेली और फज केक भी बनता है. हाल ही में कंपनी ने इन चीजों की ऑनलाइन डिलिवरी का काम भी शुरू किया था. लेकिन फिलहाल इसके पूरे उत्पादन पर ब्रेक लग गया है.

जांच के बाद महाराष्ट्र एफडीए ने नागरगांव प्लांट से चिक्की बनाने और बेचने पर रोक लगा दी है. और कंपनी को जल्द से जल्द सभी कमियों को दूर करने को कहा है. लगभग 100 साल पुरानी मगनलाल चिक्की प्लांट में कमियां पाए जाने के बाद अब एफडीए लोनावला के सभी चिक्की बनाने वालों की जांच करने की बात भी कह रही है. 

(मुंबई से राहुल कुमार की रिपोर्ट)