'जोहार परियोजना' से बदल रहे हैं गांव, महिला किसानों को मिल रहा है बाजार
राज्य में 3244 उत्पादक समूहों के तहत हजारों किसानों को खेतीबाड़ी के काम और बाजार उपलब्ध करने में सहयोग किया जा रहा है.
लॉकडाउन (Lockdown) के चलते किसानों के सामने तमाम समस्याएं आ रही हैं. सबसे बड़ी समस्या है उपज को बाजार पहुंचा और फिर बाजार में उसका सही दाम मिलना. हालांकि राज्य सरकारें अपने-अपने यहां कई योजनाओं से किसानों की मदद करने का काम कर रही हैं. जैसे- हरियाणा सरकार ने भावान्तर भरपाई योजना चलाई हुई है. इसी तरह से झारखंड सरकार (Jharkhand) की 'जोहार परियोजना' (Johar project) किसानों का बड़ा साथी बनकर उभर रही है.
झारखंड ग्रामीण विकास विभाग की 'जोहार परियोजना' किसानों की उपज को बाजार तो आम लोगों को ताजा फल-सब्जियां उपलब्ध करवा रही है. इस योजना से महिला किसानों को काफी फायदा हो रहा है.
राज्य में 3244 उत्पादक समूहों (FPO) के तहत हजारों किसानों को खेतीबाड़ी के काम और बाजार उपलब्ध करने में सहयोग किया जा रहा है, जिससे लॉकडाउन में किसानों की आय सुनिश्चित हो सके एवं मौसमी उत्पादों को बाजार से जोड़ा जा सके.
ग्रामीण विकास विभाग के मुताबिक, जोहार परियोजना ने बड़े सब्जी विक्रेताओं से सीधा संपर्क कर और जिला प्रशासन से मंजूरी लेकर 335 उत्पादक समूहों से जुड़े किसानों के उपज को सीधा बाजार से जोड़ने का काम किया. इससे किसानों को उत्पादों की अच्छी कीमत मिल सकी.
विभिन्न जिलों के किसानों ने 9 उत्पादक कम्पनियों के जरिए अबतक 1000 मीट्रिक टन सब्जियों एवं फलों की बिक्री कर 90 लाख का कारोबार किया गया है.
रामगढ़ के गोला प्रखण्ड में बरियातू उत्पादक समूह से जुड़ी नुनिबला देवी बताती है, "उत्पादक समूह के माध्यम से 10 पैकेट तरबूज का बीज लगाए थे, अब बंदी में बाजार तो बंद है और गांव के व्यापारी 5-7 रुपये दाम लगता, लेकिन हम समूह की राजरप्पा किसान उत्पादक कंपनी द्वारा 8-10 रुपये मे अपने उपज को बेचा है.
रांची के सरहुल आजीविका किसान उत्पादक कंपनी की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर शशी बाला बताती है कि जोहार परियोजना से जुड़कर हम किसानों को बहुत फायदा है. आज हम इस उत्पादक कंपनी के जरिए हजारों किसानों को लाभ पहुंचा पा रहे है.
जोहार परियोजना के प्रोजेक्ट डायरेक्टर बिपिन्न बिहारी बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान हमने उत्पादक कंपनी के किसानों के उत्पादों के लिए झारखंड समेत अन्य राज्यों में भी बिहार ओड़िसा एवं पश्चिम बंगाल में भी बाजार उपलब्ध कराये गए है.
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ग्रामीण विकास विभाग के विशेष सचिव राजीव कुमार ने बताया कि जोहार परियोजना के अंतर्गत सब्जी एवं फल के लिए तो हम जोहर परियोजना एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के जरिए बाजार उपलब्ध करा ही रहे हैं.
विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित जोहार परियोजना का क्रियान्वयन ग्रामीण विकास विभाग के तहत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी के द्वारा झारखंड में किया जा रहा है. पूरी प्रक्रिया में सोशल डिस्टेंसिंग एवं अन्य नियमों का पालन किया जा रहा है.