उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में एक बार बिजली (Electricity) के दाम बढ़ाए जाने को लेकर खलबली मच गई थी. यूपी पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UP Power Corporation Limited) ने बिजली के दाम प्रति यूनिट 66 पैसे बढ़ा दिए. हालांकि, मामला संज्ञान में आने पर नियामक आयोग ने कोर्ट में याचिका दाखिल की और बढ़े हुए दामों पर रोक लगा दी. इस खबर के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही अफरातफरी मच गई. हालांकि, यूपीपीसीएल (UPPCL) अब भी दाम बढ़ाने पर अड़ा हुआ है. इसके पीछे उसने तर्क दिया था कि कोयला और तेल के दामों में बढ़ोतरी के कारण ये दरें बढ़ाई गई हैं. यही नहीं, ये दरें जनवरी महीने के बिल से ही लागू कर दी गई थीं.

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दरअसल, यूपीपीसीएल ने नियामक आयोग की मंजूरी के बिना ही दाम बढ़ा दिए थे, जिस पर आयोग ने आपत्ति जताई. बढ़ी हुई दरों का असर सभी उपभोक्ताओं पर पड़ने वाला था, जिसमें घरेलू और कॉमर्शियल दोनों ही उपभोक्ता आएंगे. आईएएनएस की खबर के मुताबिक, आयोग के चेयरमैन आर.पी. सिंह ने पूरे मामले पर चर्चा के बाद यह फैसला सुनाते हुए सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशकों (MD) सहित चेयरमैन पावर कॉर्पोरेशन को अविलंब बढ़ोतरी के आदेश पर रोक लगाने का निर्देश जारी कर दिया. उन्होंने अपने आदेश में कहा कि आयोग जब तक इस पूरे मामले पर अंतिम निर्णय नहीं ले लेता है, पावर कार्पोरेशन इस मामले में कोई भी अगला कदम नहीं उठाएगा. 

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बता दें कि बीते सितंबर 2019 में राज्य में लगभग 12 प्रतिशत तक बिजली की दरें बढ़ गई थीं. हालांकि पावर कॉर्पोरेशन ने 14 प्रतिशत बढ़ोतरी प्रस्तावित की थी. तब उत्तर प्रदेश बिजली नियामक आयोग ने खर्च में बढ़ोतरी और राजस्व में कमी का हवाला देते हुई कीमतों में बढ़ोतरी की थी. नियामक के इस ताजा फैसले से उत्तर प्रदेश के करोड़ों उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है. सितंबर 2019 से पहले राज्य में वर्ष 2017 में बिजली की दरें बढ़ाई गई थी.