घर पर बच्चों की पढ़ाई में ऐसे करें मदद, शिक्षा मंत्रालय ने पेरेंट्स के लिए जारी कीं गाइडलाइंस
मंत्रालय की ये गाइडलान घर पर पेरेंट्स पढ़ाई-लिखाई समेत बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में मदद करने और पॉजिटिव चीज़े सीखने का माहौल बनाने की जरूरत पर जोर देता है.
कोविड-19 (Coronavirus) की वजह से साल 2020 से ही लगातार स्कूल बंद हैं. ऐसे में सभी स्टूडेंट्स घर रहकर ही ऑनलाइन क्लास (Online Class) के जरिए पढ़ाई कर रहे हैं. इसी को लेकर शिक्षा मंत्रालय (Union Education Ministry) ने आज स्कूल बंद होने के चलते घर पर स्टूडेंट्स को पढ़ाई में मदद करने वाले पेरेंट्स के लिए गाइडलाइंस जारी की है. मंत्रालय की ये गाइडलान घर पर पेरेंट्स पढ़ाई-लिखाई समेत बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में मदद करने और पॉजिटिव चीज़े सीखने का माहौल बनाने की जरूरत पर जोर देता है. इसके अलावा पढ़ाई के साथ-साथ पेरेंट्स को बच्चों की हैल्थ, डाइट और खुशनुमा मौहाल को कैसे मैनेज करना है, इस पर भी जोर दिया गया है.
डेवलपमेंट एक्टिविटी में दें पेरेंट्स साथ
दरअसल कोरोना की वजह से स्कूलों के बंद होने से बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा पेरेंट्स की हो गई है. मंत्रालय की ओर से जारी किए गए ये दिशानिर्देश केवल माता-पिता के लिए ही नहीं, बल्कि देखभाल करने वालों, परिवार के अन्य सदस्यों, दादा-दादी, समुदाय के सदस्यों, बड़े भाई-बहनों के लिए भी हैं, जो बच्चों की बेहतरी को बढ़ावा देने के काम में लगे हुए हैं. शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' (Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank) ने ट्वीट में कहा, 'महामारी के इस समय में माता-पिता की भूमिका को बच्चों के विकास और सीखने के लिए महत्वपूर्ण मानते हुए ये दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं.' साथ ही उन्होंने कहा कि, ' मेरा ऐसा मानना है कि घर बच्चे का पहला स्कूल होता है और माता-पिता पहले शिक्षक.'
गाइडलाइंस में बताया गया है कि बच्चों को पढ़ाई में मदद करने के लिए कई पहलुओं, जैसे की 'क्यों, क्या और कैसे' मदद की जा सकती है को समझने की जरूरत है. इसमें यह भी जानकारी है कि इन उम्र वाले बच्चों - फाउंडेशन स्टेज (3 साल से 8 साल), प्रीपेटरी स्टेज (8-11 साल), मिडल स्टेज (11-14 वर्ष) और सेकेंडरी स्टेज से एडल्ड होने तक कैसे कई तरह की डेवलपमेंट एक्टिविटी में उनका साथ दिया जा सकता है.
क्या हैं गाइडलाइंस में
पेरेंट्स के लिए इस गाइडलाइन में 10 चैप्टरों में विस्तार से बताया गया है कि कैसे बच्चों को अच्छी और हाईयर एजूकेशन दी जा सकती है.
- सबसे पहले पेरेंट्स को बच्चों का रूटीन बनाना होगा. जबरदस्ती से बनाया हुआ रूटीन नहीं होना चाहिए, बच्चों से बात करके उनकी पढ़ाई लिखाई और खेलने का टाइम तय करें.
- बच्चों के सामने TV और फोन का इस्तेमाल कम से कम करें.
- पॉजिटिव भाषा का इस्तेमाल करें.
- बड़ें ही बच्चों के रोल मॉडन होते हैं इस बात को ध्यान में रखें. क्योंकि आपकी एक्टिविज को ही बड़े फॉलो करते हैं. गुड लिस्टनेर बने.
- रोज फैमिली में एक एक्टिविटी करें, जिसमें परिवार का हर सदस्य हिस्सा ले.
- एक पॉजिटिव डिसिप्लिन का माहौल रखें. साथ ही बच्चों के साथ एन्जॉय करने के लिए समय निकाले
- बच्चों से उनके टीचर्स के बारे में बातें करें और फेवरेट सब्जेक्ट भी पूछे.
- कहानी सुनाना, गाने गाना, मेमोरी गेम्स भी रोजाना सुने.
- बच्चों को योग और व्यायाम कराएं और उन्हें फिट रखें.
- मेंटली बच्चों को स्कूल जाने के लिए तैयार रखें. साथ ही विश्वास दिलाएं कि स्कूल जल्द खुलेंगे.
- इसके अलावा बच्चों को स्कूल खुलने पर क्या-क्या सावधानी बरतनी है और क्या-क्या सामान हमेशा अपने साथ रखना होगा इसकी भी सीख दें.
ये गाइडलाइंस बच्चों के घर पर एज्यूकेशन की सुविधा को लेकर पेरेंट्स और अन्य लोगों के लिए कई सिम्पल टिप्स को लेकर है. साथ ही सुझाव योग्य एक्टिविटी नेशनल एज्यूकेशन पॉलिसी (NEP)2020 के तहत school education के अलग-अलग स्टेज के अनुसार है. ये एक्टिविटी सरल और सुझाव योग्य हैं, जिन्हें स्थानीय जरूरतों और कंटेक्ट्स के लिए कस्टमाइज्ड किया जा सकता और अपनाया जा सकता है.
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