Edible oil prices: दुनिया भर के दबाव और बहिष्कार के बावजदू यूक्रेन पर रूस के हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. इस हमले की वजह से यूक्रेन तहस नहस हो चुका है. राजधानी कीव और दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में ज्यादातर इमारतें जमीदोंज हो चुकी हैं. इस लड़ाई का असर दुनिया भर में ऑयल, गैस, गेहूं और यहां तक की खाने के तेल पर भी पड़ा है. भारत में भी दोनों देशों के युद्ध की वजह से सनफ्लावर ऑयल की कमी हो गई है. ऐसे में पाम ऑयल के उत्पादकों को फायदा होने की संभावना जताई जा रही है.

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सनफ्लावर ऑयल की सप्लाई बाधित

रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी भीषण जंग के कारण वहां से सनफ्लावर ऑयल की सप्लाई बाधित हो गयी है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक ,जंग खत्म होने के बाद भी तुरंत हालात नहीं सुधरेंगे. इसका असर दोनों देशों में सूरजमुखी की खेती पर लंबे समय तक रहेगा. वहीं उत्पादन कम होने पर सप्लाई आगे भी खतरे में रहेगी.

भारत भारी मात्रा में खाद्य तेलों का आयात करता है, जिनमें 60 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी पाम ऑयल की है. सनफ्लावर ऑयल की बाजार में कमी होने से पाम ऑयल की बाजार हिस्सेदारी और बढ़ जायेगी. भारत 25 लाख टन से ज्यादा सनफ्लावर ऑयल का आयात करता है.

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पाम ऑयल की कीमतों में तेजी 

आपको बता दें कि सनफ्लावर ऑयल की सप्लाई बाधित होने से पाम ऑयल की कीमतों में तेजी आ गयी है. जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च एनालिस्ट विनोद टी पी ने कहा कि, यूक्रेन और रूस के बीच जंग ने सनफ्लावर ऑयल की बड़ी खेप को संकट में डाल दिया है. इससे वैश्विक बाजार में मांग और आपूर्ति का संतुलन बिगड़ गया है.

भारत सनफ्लावर ऑयल का बहुत बड़ा आयातक है. इसके आयात के लिये यूरोप और अर्जेटीना पर निर्भर नहीं रह सकते क्योंकि ये देश खुद ही सबसे बड़े उपभोक्ता भी हैं. उन्होंने कहा कि, जहां तक अर्जेटीना की बात है, वहां के सनफ्लावर ऑयल की ज्यादा लागत की वजह से से तेल खरीदने की संभावना कम है.

सरसों के तेल में नहीं दिखेगा ज्यादा बदलाव

उनके मुताबिक सनफ्लावर ऑयल और पाम ऑयल पर निर्भरता अब और बढ़ जायेगी. सरसों की अच्छी फसल की उम्मीद से कीमतों में उतना अधिक उछाल नही आ पायेगा. देश में सरसों की फसल की अभी कटाई हो रही है. कुछ ही दिनों में सरसों का तेल बाजार में आने लगेगा. इसके बाद खाद्य तेलों की कीमतों में अधिक तेजी का लगाम लगेगा. सनफ्लावर ऑयल की किल्लत और पाम ऑयल की कीमतों में आयी तेजी का असर सोयाबीन तेल पर पड़ा है. इसके दाम जंग शुरु होने के बाद से अब तक दस फीसदी बढ़ चुके हैं.

कीमतों पर लगाम के लिए कई कदम

ब्रोकरेज फर्म कोटक सिक्योरिटीज के मुताबिक, दक्षिण अमेरिकी देशों में सोयाबीन के उत्पादन का अनुमान कम होने और इंडोनेशिया में पाम ऑयल का घरेलू आवंटन बढ़ाने से पाम ऑयल की कीमतों में और बढ़ोतरी की संभावना है. रिपोर्ट के मुताबिक इंडोनेशिया की सरकार ने देश में पाम ऑयल की घरेलू कीमतों में आये तेल उछाल को देखते हुये उत्पादन के एक हिस्से को घरेलू बाजार में बेचना जरूरी कर दिया है.

इंडानेशिया पाम ऑयल का सबसे बड़ा उत्पादक है और उसके बाद दूसरे स्थान पर मलेशिया है. केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों की कीमतों पर लगाम लगाने के लिये कई उपाय किये हैं लेकिन उनका कोई असर बाजार पर नही दिख रहा है.