देश में जल संकट लगातार गहरता जा रहा है. गुरुवार को संसद में पेश हुए आर्थिक सर्वेक्षण में पानी की किल्लत पर चिंता जाहिर की गई है. सिंचाई के लिए भूजल का ज्यादा इस्तेमाल किए जाने पर आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में चिंता जाहिर करते हुए सिंचाई के लिए पानी के उपयोग में सुधार को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है. 

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आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि एशियन वाटर डेवलेपमेंट आउटलुक 2016 के मुताबिक, करीब 89 फीसदी भूजल का इस्तेमाल सिंचाई के लिए किया जाता है, जिसके कारण भूजल निरंतर नीचे की तरफ खिसकता जा रहा है, जो कि चिंता का विषय है. 

केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 संसद में पेश किया, जिसमें कहा गया है कि देश में धान और गन्ने की फसल को सबसे ज्यादा पानी की जरूरत होती है और ये फसल उपलब्ध जल का 60 प्रतिशत से अधिक का जल ले लेते हैं जिससे अन्य फसलों के लिए कम पानी उपलब्ध रहता है.

सर्वेक्षण के अनुसार, कृषि भूमि के बंटवारे और जल संसाधनों के कम होने से संकट बढ़ा है, जबकि अपनाए गए नए प्रभावी संसाधनों और जलवायु के अनुकूल सूचना एवं प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से कृषि क्षेत्र स्मार्ट हुआ है. कृषि जोतों के छोटे होने की वजह से देश में सीमांत किसानों के लिए उपयुक्त संसाधनों को अपनाने पर जोर दिया गया है. 

आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक कृषि और संबंधित क्षेत्र में सकल पूंजी निर्माण के प्रतिशत के रूप में सकल पूंजी निर्माण (जीसीएफ) में वर्ष 2013-14 में 17.7 प्रतशित की बढ़त दर्ज की गई है, लेकिन उसके बाद वर्ष 2017-18 में यह घटकर 15.5 प्रतिशत रह गया.