Earthquake in Andaman and Nicobar: इन दिनों देश के तमाम हिस्‍सों से प्राकृतिक आपदाओं की खबरें आ रही हैं. इसी बीच अंडमान-निकोबार में भी भूकंप आने की बात सामने आयी है. अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में रात करीब 12:53 मिनट पर 5.8 की तीव्रता के साथ जोरदार भूकंप आया है. भूकंप के झटके पोर्ट ब्लेयर के दक्षिण-पूर्व में 126 किमी की दूरी पर महसूस किए गए. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (National Centre for Seismology) के मुताबिक ये भूकंप 69 किमी. की गहराई पर आया था. 

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इससे पहले इसी साल जनवरी में भी अंडमान सागर में 4.9 तीव्रता का भूकंप आया था. वो भूकंप 77 किलोमीटर की गहराई पर आया था. हालांकि इस भूकंप में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. आइए आपको बताते हैं कि क्‍यों आता है भूकंप और कितनी तीव्रता वाला भूकंप हो जाता है खतरनाक?

क्‍यों आता है भूकंप

दरअसल ये पृथ्‍वी टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है. ये प्लेट्स जो लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं. बार-बार टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्‍यादा दबाव पड़ने पर ये प्‍लेट्स टूटने लगती हैं. ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्‍ता खोजती है और इस डिस्‍टर्बेंस के बाद भूकंप आता है.

कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता

भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से की जाती है. रिक्‍टर स्‍केल भूकंप की तरंगों की तीव्रता मापने का एक गणितीय पैमाना होता है, इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. रिक्टर स्केल पर भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है. ये स्‍केल भूकंप के दौरान धरती के भीतर से निकली ऊर्जा के आधार पर तीव्रता को मापता है. 

कितनी तीव्रता वाला भूकंप खतरनाक होता है

2.5 से 5.4 तीव्रता वाले भूकंप को माइनर कैटेगरी में रखा जाता है. इसके बाद 5.5 से 6 तीव्रता वाले भूकंप को हल्का खतरनाक भूकंप माना जाता है. इसमें थोड़े बहुत नुकसान की आशंका रहती है. अगर 6 से 7 तीव्रता का भूकंप आता है तो ज्यादा जनसंख्या वाले क्षेत्र में डैमेज हो सकता है. 7 से 7.09 के भूकंप को खतरनाक माना जाता है. इसमें बिल्डिंगों में दरार या उनके गिरने और जनहानि की खबरें आ सकती हैं. इससे तेज भूकंप बेहद खतरनाक होते हैं और कई सालों में एक बार आते हैं. अब तक का सबसे खतरनाक भूकंप साल 1916 में चीन में आया था और उस वक्त उस भूकंप की तीव्रता 9.6 मेग्नीट्यूड थी.

क्‍या होता है सिस्मिक जोन 

सिस्मिक जोन का मतलब है उच्‍च जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र यानी वो जगह जहां भूकंप आने की संभावना बहुत ज्‍यादा होती है. भारत में भूकंप की संवेदनशीलता को देखते हुए इसे 2 से लेकर 5 तक के जोन में बांटा गया है.  इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक सिस्मिक जोन 5 है, जहां आठ से नौ तीव्रता वाले भूकंप के आने की आशंका रहती है. भारत का करीब 11 फीसदी हिस्‍सा 5वें जोन में आता है. 18  फीसदी चौथे और 30 फीसदी तीसरे जोन में आता है. बाकी बचे हिस्से पहले और दूसरे जोन में आते हैं. 

किस आधार पर निर्धारित होता है जोन

एरिया के स्ट्रक्चर के आधार पर इलाके को भूकंप की दृष्टि से खतरनाक और कम खतरनाक जोन में विभाजित किया जाता है. बढ़ती आबादी और तेजी से बनती ऊंची इमारतों के कारण दिल्ली-एनसीआर भूकंप की दृष्टि से और भी खतरे के घेरे में रखा गया है.

जानिए किस जोन का हिस्‍सा है दिल्‍ली 

Seismic Zone 5:  सिस्मिक जोन 5 को सबसे ज्‍यादा खतरनाक माना जाता है. इसमें देश का पूरा पूर्वोत्तर इलाका, जम्मू-कश्मीर का कुछ हिस्‍सा, हिमाचल प्रदेश का कुछ हिस्‍सा और उत्तराखंड के कुछ इलाके, गुजरात का कच्छ, उत्तर बिहार और अंडमान निकोबार द्वीप शामिल है

Seismic Zone 4:  इसे भी काफी खतरनाक माना जाता है. जोन 4 में भूकंप की तीव्रता 7.9 से 8 तक हो सकती है. दिल्ली, एनसीआर के इलाके, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, उत्‍तराखंड, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश के कुछ इलाके, यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल का उत्तरी इलाका, गुजरात का कुछ हिस्सा और पश्चिम तट से सटा महाराष्ट्र और राजस्थान का इलाका आता है.

Seismic Zone 3:  इसमें भूकंप की तीव्रता सात या उससे कम होती है. इसमें केरल, गोवा, लक्षदीप, यूपी, गुजरात और पश्चिम बंगाल के बचे हुए इलाके, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के इलाके आते हैं. चेन्‍नई, मुंबई, भुवनेश्‍वर, कोलकाता और बेंगलुरु को भी जोन 3 में रखा गया है. 

Seismic Zone 2: जोन 2 को बेहद कम खतरनाक जोन माना जाता है. यहां 4.9 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है. थिरुचिरापल्ली, बुलंदशहर, मुरादाबाद, गोरखपुर, चंडीगढ़ आदि सिस्मिक जोन 2 में आते हैं.

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