देशभर के कारोबारियों और व्यापारियों को ई-वे बिल में 1 अक्टूबर से बड़ी राहत मिलने वाली है. इससे कारोबारियों को अपना सामान एक से दूसरे राज्य में भेजने में कम पैसे खर्च करने होंगे. ऐसा पिछले कुछ समय में सरकार द्वारा किए गए कई कानूनी संशोधन की वजह से संभव हो सका है. साथ ही सरकार ने इसके फॉर्म में भी कई बदलाव किए हैं, वहीं करीब आधा दर्जन राज्यों में सामान लाने- ले जाने पर जॉबवर्क वाले सामान की ढुलाई ई-वे बिल से मुक्त हो जाएगी.

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नया फॉर्म का प्रारूप जारी

सरकार ने ई-वे बिल जनरेट करने के नए फॉर्म का प्रारूप जारी कर दिया है. यह सोमवार से प्रभावी हो जाएगा. इस प्रारूप में जहां कई गैरजरूरी दस्तावेजों और सूचना देने में कटौती की गई है, वहीं नए संशोधन के पालन के लिए कुछ नई चीज भी जोड़ी गई हैं. जीएसटी के नेटवर्क की देखभाल करने वाली कंपनी जीएसटीएन के एक अधिकारी ने बताया कि 'ट्रांजेक्शन के आधार पर दस्तावेज वाले ड्रॉप डाउन मेन्यू में दस्तावेजों की संख्या सीमित कर दी गई है. अब सामान भेजने और पाने वाले कारोबारी की तरफ से दिए गए पते में पिन कोड के आधार पर ही राज्य और शहर का नाम लिया जाएगा.

टैक्स की मानक दर ड्रॉप डाउन मेन्यू में

इकोनोमिक टाइम्स की खबर के मुताबि, टैक्स की गणना के लिए टैक्स की मानक दर को भी ड्रॉप डाउन मेन्यू में शामिल किया गया है. नए बदलाव के बाद अब सेस आदि के लिए एक अतिरिक्त स्थान होगा. अधिकारी के मुताबिक 10 करोड़ रुपए से अधिक कीमत वाले सामान की आपूर्ति पर फॉर्म जनरेट करते ही सामान भेजने और पाने वाले को एसएमएस अलर्ट जाएगा. 

इन राज्यों ने यह राहत दी है

देश के कई राज्यों ने कुछ अहम फैसले लिए हैं. इनमें पंजाब, गुजरात सहित करीब सात राज्यों ने 1 अक्टूबर से जॉब वर्क के लिए निर्माता के यहां से आ रहे या तैयार माल को इंट्रास्टेट ई-वे बिल से मुक्त कर दिया है. इसके अलावा दो राज्यों- बिहार और पश्चिम बंगाल ने कपड़े को इससे मुक्त रखने का फैसला किया है.

क्या है ई-वे बिल

जीएसटी के तहत बहुत ही महत्वपूर्ण ई-वे बिल के तहत राज्यों के बीच 50,000 रुपए से अधिक मूल्य के वस्तुओं की ढुलाई के लिए इलेक्ट्रॉनिक वे या ई-वे बिल की जरूरत होती है. ट्रांसपोर्टर को जीएसटी (GST) कंप्यूटर प्रणाली से ई-वे बिल लेना होता है. रोजमर्रा के उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए सरकार ने उन मामलों में उन्हें ई वे बिल निकालने के उद्देश्य के लिए केवल कर योग्य आपूर्ति पर भी विचार की अनुमति दे दी है जहां बिक्री बिल में छूट और कर योग्य आपूर्ति वाली वस्तुएं दोनों शामिल हैं.