Medicine Price: देश में महंगाई की मार आम आदमी की परेशानियों को बढ़ा रहा है. हर चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं. छोटी से छोटी जरूरत में आने वाली चीजों के दाम में भी रोजाना बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. ऐसे में अगर दवाइयां भी जरूरत से ज्यादा महंगी हो जाएं तो आम आदमी के लिए इससे बड़ा झटका और क्या होगा. पिछले कुछ सालों में दवाइयों की कीमतों में जबरदस्त वृद्धि देखने को मिली है. 

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ऐसे में सरकारी संस्था नेशनल फर्मास्युटिकल प्राइजिंग अथॉरिटी (NPPA) बड़ी दवा निर्माता कंपनियों के साथ दवाइयों की कीमतों को तय किया है, न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक दवाओं की कीमत तय करने संबंधी नियामक एनपीपीए ने मधुमेह, सिरदर्द और उच्च रक्तचाप के इलाज में इस्तेमाल होने वाली 84 दवाओं के लिए खुदरा कीमतें तय की हैं.

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दवाओं की खुदरा कीमतें तय 

राष्ट्रीय दवा मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को कम करने के लिए फॉर्मूलेशन की कीमतें भी तय की हैं. नियामक ने एक अधिसूचना में कहा कि दवा (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 द्वारा मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए एनपीपीए ने दवाओं की खुदरा कीमतें तय की हैं.

पैरासिटामोल और कैफीन की कीमत 2.88 रुपये 

आदेश के अनुसार, वोग्लिबोस और (एसआर) मेटफॉर्मिन हाइड्रोक्लोराइड की एक टैबलेट की कीमत जीएसटी को छोड़कर 10.47 रुपये होगी. इसी तरह पैरासिटामोल और कैफीन की कीमत 2.88 रुपये प्रति टैबलेट तय की गई है। इसके अलावा एक रोसुवास्टेटिन एस्पिरिन और क्लोपिडोग्रेल कैप्सूल की कीमत 13.91 रुपये तय की गई है.

एक अलग अधिसूचना में एनपीपीए ने कहा कि उसने तरल चिकित्सा ऑक्सीजन और ऑक्सीजन इनहेलेशन (औषधीय गैस) की संशोधित अधिकतम कीमत को इस साल 30 सितंबर तक बढ़ा दिया है.