Milestone on Roads: अक्सर सफर के दौरान हम सड़क पर लगे मील पत्थरों को देखते हैं. उससे हमें ये पता लगता है कि हमारी मंजिल अब कितनी दूर रह गई है.ये पत्थर सफर के दौरान लोगों के लिए काफी उपयोगी होते हैं. ये बताते हैं कि हम सही दिशा में चल रहे हैं या नहीं. लेकिन इसकी सबसे खास बात जो किसी ने शायद ही कभी गौर की होगी. वह यह है कि इन मिल के पत्थरों का रंग जगह के अनुसार अलग-अलग होता है. भारत में सभी सड़कों पर एक जैसे मिल के पत्थर नहीं होते हैं. ये निर्भर करता है हाईवे पर जैसे कि नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे, जिला और गांव के लिए मिल के पत्थरों का रंग अलग होता है. आज हम आपको माइलस्टोन के अलग-अलग रंगों (Milestone colour meaning) के मतलब के बारे में बताएंगे.

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पीला रंग का मिल का पत्थर: अगर आपको कहीं सफर के दौरान पीले रंग के मिल के पत्थर दिखे तो समझ जाइए कि आप नेशनल हाईवे से गुजर रहे हैं. पिछले साल के आंकड़ों की मानें तो देश में नेशनल हाईवे का नेटवर्क 1,65,000 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है. ये हाईवे राज्यों और शहरों को आपस में जोड़ते हैं. सेंट्रल गवर्नमेंट इन हाईवे को मेंटेन करती है.

क्या होता है नेशनल हाईवे?

वे सड़कों के निर्माण और सुधार का जिम्मा नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) का होता है उसे नेशनल हाईवे कहते हैं. हमारे देश में NH 24, NH 8, NH 6 जैसे कई नेशनल हाइवे हैं. नेशनल हाईवे 70 हजार किलोमीटर से अधिक लंबा होता है.

हरे रंग के मील के पत्थर : यदि आपको हरे रंग के मील के पत्थर दिखे तो इसका मतलब है कि आप नेशनल हाईवे से निकल कर स्टेट हाईवे पर पहुंच चुके हैं.

क्या होता है स्टेट हाईवे?

स्टेट हाईवे के निर्माण और देखभाल का जिम्मा राज्य सरकारों के पास होता है. स्टेट में प्रवेश करने के बाद, अलग-अलग शहरों में जाने के लिए ये हाईवे इस्तेमाल होते हैं. स्टेट हाईवे की लंबाई लगभग 150, 000 किलोमीटर की होती है.

काले, नीले या सफेद माइलस्टोन

अगर आपको सफर के दौरान कहीं काले, नीले या सफेद मील के पत्थर दिखे तो आप समझ जाएं कि आप किसी बड़े शहर या जिले में प्रवेश कर चुके हैं. इन रोड के निर्माण और देखरेख का जिम्मा वहां के नगर निगम या जिला प्रशासन की होती है.

नारंगी रंग : अगर सफर के दौरान आपको नारंगी रंग के माइलस्टोन दिखे तो आप समझ जाइए कि आप किसी गांव से गुजर रहे हैं. ये सड़कें प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत बनाई गई होती हैं. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, जवाहर रोजगार योजना और अन्य स्कीम के जरिए गांवों में बनने वाली सड़कों के किनारे लगे मील के पत्थर में नारंगी रंग की पट्टियां होती हैं. साल 2000 से इस योजना के तहत गांवों में सड़क बनाई जा रही हैं.

तो ये रही मिल के पत्थरों के रंगों की बात अब जानते हैं अलग-अलग साइन बोर्ड का मतलब

सड़कों के किनारे लगे साइनबोर्ड का मतलब

सड़कों के किनारों पर लगे ये साइन बोर्ड अलग-अलग तरह के होते हैं. जिसमें कोई बोर्ड हमें निश्चित स्थान तक पहुंचने के लिए शेष दूरी के बारे में बताता है तो कोई बोर्ड हमें सार्वजनिक सुविधा आउटलेट, अस्पताल और रेस्तरां के बारे में बताता है. कई जगहों पर कॉलेजों और स्कूलों जैसे क्षेत्रों के निकट खतरों के बारे में सावधान करने और वैकल्पिक मार्गों के बारे में यात्रियों को सूचित करने जैसे कामों के लिए भी बहुत मददगार साबित होते हैं.

अलग-अलग आकार के रोड साइन बोर्ड?

  • रोड सेफ्टी के लिए मुख्य रूप से तीन तरह के साइन बोर्ड होते हैं.
  • गोल आकार में बने साइन सामान्य जानकारी देते हैं. जैसे- नो पार्किंग, नो यू टर्न और हॉर्न के इस्तेमाल के प्रतिबंध क्षेत्र
  • त्रिभुज आकार के साइन का मतलब होता है कि आगे खतरा है और ज्यादा ध्यान से गाड़ी चलाने की जरूरत है.
  • एक आठ कोनों वाला साइन बोर्ड भी होता है, जिसका उपयोग स्टॉप साइन के लिए किया जाता है.

साइन बोर्ड के रंगों का क्या मतलब होता है?

  • लाल रंग - लाल रंग के साइन बोर्ड का मतलब है कि  आगे खतरा है या आपको इस नियम का अनिवार्य रूप से पालन करना है.
  • पीले रंगों-पीले रंग का साइन बोर्ड बताता है कि आपको धीरे चलना है.
  • हरे रंग- हरे रंग का साइन बोर्ड दो शहरों के बीच की दूरी बताते हैं.
  • नीला रंग- नीले रंग का बोर्ड भी जगहों की दूरी बताता है.