अब भोपाल में आया Digital Arrest का मामला, जानिए कैसे एक फोन कॉल से आपको घर में ही कैद कर लेते हैं स्कैमर्स?
डिजिटल अरेस्ट के मामले इन दिनों तेजी से बढ़ रहे हैं. ताजा मामला भोपाल से सामने आया है. यहां एक कारोबारी को डिजिटल अरेस्ट का शिकार बनाया गया. जानिए क्या है पूरा मामला.
देश में डिजिटल अरेस्ट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ताजा मामला मध्य प्रदेश के भोपाल में सामने आया है. यहां एक कारोबारी डिजिटल अरेस्ट का शिकार हुए हैं. इसके साथ ही ये राज्य का ऐसा पहला केस भी माना जा रहा है जहां साइबर सेल पुलिस ने मौके पर पहुंचकर लाइव कार्रवाई की और पीड़ित को साइबर अपराधियों के चंगुल से बाहर निकाला.
क्या हुआ इस केस में? जानिए
मध्य प्रदेश साइबर सेल के डीजी योगेश देशमुख ने बताया कि भोपाल पुलिस को एक व्यक्ति के डिजिटल अरेस्ट होने की जानकारी मिली थी. इसके बाद पुलिस व्यक्ति के घर गई. बता दें कि साइबर क्राइम का यह बिलकुल नया तरीका है, जिसमें स्कैमर्स पुलिस, सीबीआई या कस्टम का अधिकारी बनकर आपको कॉल करते हैं और डराकर घर पर ही बंधक बना लेते हैं. स्कैम का यह खेल यहीं से शुरू होता है. इस केस में भी वैसा ही हुआ. कारोबारी का सिम नंबर ड्रग के केस में, ईडी के केस, सीबीआई के केस में फंसा दिया और उनको डरा दिया कि बाहर जाएंगे तो आपको पुलिस अरेस्ट कर लेगी. इसके बाद स्कैमर्स ने सारे अकाउंट की डीटेल्स लेनी शुरू कर दी, आधार नंबर ले लिया था. लेकिन इससे पहले कि वह पैसे ट्रांसफर करते, पुलिस ने मौके पर पहुंचकर इन्हें बचा लिया.
वर्चुअल नंबर का इस्तेमाल करते हैं अपराधी
योगेश देशमुख ने बताया कि जैसे ही पुलिस घर पहुंची तो साइबर अपराधियों ने अपने मोबाइल, वीडियो कॉल वगैरह बंद कर दिए. उन्होंने बताया कि साइबर अपराधी वर्चुअल नंबर का उपयोग कर रहे हैं. स्काइप के जरिए से वीडियो कॉल करके सीबीआई अधिकारी बन जाते हैं, ईडी अधिकारी बन जाते हैं और पूरा माहौल ऐसा बनाते हैं कि वह सीबीआई ईडी के दफ्तर में बैठे हों. यह अपराधी जो भूमिका के अनुसार सीबीआई, ईडी या अन्य किसी पुलिस का Logo लगा देंगे. इस केस में भी उन्होंने ऐसे ही किया है. हम संबंधित एजेंसी से बात कर रहे हैं. जैसे ही हमें स्थान प्राप्त होगा, वहां पहुंचकर कार्रवाई करेंगे.
पीड़ित ने सुनाई आपबीती
इस मामले के भोपाल के कारोबारी ने आप बीती बताते हुए कहा कि दोपहर में मुझे टेलीकॉम अथॉरिटी से फोन आया कि आपके आधार कार्ड का इस्तेमाल करके किसी ने सिम लिया है, जिसका इस्तेमाल आपराधिक गतिविधियों में हुआ है. इसके बाद उन्होंने कहा कि मुंबई साइबर पुलिस में आपको शिकायत करनी होगी और उन्होंने मुझे अरेस्ट के नाम पर डरा दिया. मुझसे सारी जानकारी लेने की कोशिश की. लेकिन इसके बाद मैंने मध्य प्रदेश साइबर पुलिस से संपर्क किया. यहां उनके दो जवान हमें बचाने के लिए आए.
पीएम भी कह चुके हैं- डिजिटल अरेस्ट जैसा कुछ नहीं
वहीं, योगेश देशमुख ने आगे बताया कि हम लगातार ऐसे साइबर अपराधियों से बचने के लिए एडवाइजरी जारी कर रहे हैं. यहां तक की भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सभी को इस बारे में सुझाव दिया है कि डिजिटल अरेस्ट जैसा कुछ नहीं होता है, इससे घबराने की जरूरत नहीं है. ऐसी घटनाओं पर संबंधित एजेंसियों के पास खुद जाइए. किसी को अपनी पर्सनल जानकारी या अकाउंट नंबर देने की जरूरत नहीं है.