बाकी 10% घरों में जल्द पहुंचेगा LPG सिलेंडर, पेट्रोलियम मंत्री ने किया ऐलान
सरकार ने महज 55 महीनों में एलपीजी का दायरा करीब 40 प्रतिशत बढ़ाने में सफलता हासिल की है. सरकार का लक्ष्य अब जल्द ही हर घर में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराने का है.
सरकार ने महज 55 महीनों में एलपीजी का दायरा करीब 40 प्रतिशत बढ़ाने में सफलता हासिल की है. सरकार का लक्ष्य अब जल्द ही हर घर में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराने का है. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पेट्रोटेक 2019 सम्मेलन में कहा कि देश में 2014 में एलपीजी की पहुंच 55 प्रतिशत थी जो अब बढ़कर 90 प्रतिशत के करीब पहुंच गई है. उन्होंने कहा, "जल्द ही देश के सभी घर खाना बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन से जुड़ जाएंगे. ईंधन की आपूर्ति एलपीजी के साथ-साथ बायो-मास और वैकल्पिक स्त्रोतों से होगी."
प्रधान ने कहा कि देश में एलपीजी का दायरा बढ़ाने का श्रेय प्रधानमंत्री उज्जवला योजना (पीएमयूवाई) को जाता है, जिसने गरीबों को मुफ्त रसोई गैस की सुविधा दी. इस योजना के तहत एक मई 2016 से अब तक करीब 6.4 करोड़ गैस कनेक्शन दिए गए हैं. एक मई 2016 को उज्जवला योजना शुरू हुई थी.
उन्होंने कहा, "इस योजना के अंतर्गत हम 31 मार्च 2020 से पहले आठ करोड़ परिवारों को गैस कनेक्शन देंगे." माना जा रहा है कि एलपीजी को ग्रामीण क्षेत्रों में रसोई में इस्तेमाल वाले पारंपरिक ईंधन जैसे लकड़ी और कंडे की जगह लेनी चाहिए. ये न केवल पर्यावरण को प्रभावित कर रहे हैं बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डालते हैं.
प्रधान ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में पेट्रोलियम और गैस क्षेत्र का अहम योगदान है और 2017 में यह हमारी कुल ऊर्जा जरूरतों का करीब 55 प्रतिशत था. भारत, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है. वैश्विक तेल खपत में उसकी हिस्सेदारी 4.5 प्रतिशत है.
उन्होंने कहा, "हमने हाइड्रोकार्बन नीति की रूपरेखा में आमूल-चूल परिवर्तन करने के लिए कई उपाय किए हैं ताकि देश के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके." खोज एवं उत्पादन तंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए उठाए गए कदमों पर चर्चा करते हुए पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि राजस्व साझा करने के लिए नया प्रारूप, सभी हाइड्रोकार्बनों के लिए एक ही लाइसेंस और पेट्रोलियम एवं गैस के लिए विपणन स्वतंत्रता जैसी चीजों को पेश किया गया है.
प्रधान ने कहा कि भारत कच्चे तेल के परिशोधन (डाउनस्ट्रीम) क्षेत्र में भी निवेश आकर्षित करने में सक्षम है. उन्होंने कहा कि सऊदी अरामको, एडनॉक, टोटल और शैल जैसी दिग्गज कंपनियां भी भारत के ऊर्जा क्षेत्र में अपने कदम जमा रही हैं और भारत के तेल एवं गैस क्षेत्र में ज्यादा निवेश करने की सोच रही हैं.
प्रधान ने कहा कि दुनिया ऊर्जा स्त्रोतों और खपत के मामले में नाटकीय बदलाव देख रही है. मांग यूरोप से एशिया की ओर स्थानांतरित हो रही है. उन्होंने कहा कि सस्ती नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी, डिजिटल साधनों और बिजली की बढ़ती भूमिका सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने का आधार बनेगा.