देश की बात : लोकसभा में ट्रिपल तलाक पर औंधे मुंह गिरा विपक्ष का 'वार'
लोकसभा में कामकाज के पहले दिन शुक्रवार को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्रिपल तलाक बिल पेश किया, जिसे लेकर विपक्ष आपा खो बैठा और उल्टी-सीधी बयानबाजी होने लगी. निश्चित तौर पर बीजेपी नीत गठबंधन ने सदन में बहस के पहले दिन देश का सबसे जरूरी और महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया था.
लोकसभा में कामकाज के पहले दिन शुक्रवार को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्रिपल तलाक बिल पेश किया, जिसे लेकर विपक्ष आपा खो बैठा और उल्टी-सीधी बयानबाजी होने लगी. निश्चित तौर पर बीजेपी नीत गठबंधन ने सदन में बहस के पहले दिन देश का सबसे जरूरी और महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया था. सरकार की ट्रिपल तलाक बिल को दी गई प्राथमिकता से जाहिर था कि सत्तारूढ़ दल का पूरा ध्यान अब मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने पर है. प्रधानमंत्री ने इसीलिए तो सरकार संभालते ही कहा था...सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास. लेकिन विपक्ष की मंशा कुछ और ही लगी.
कांग्रेस ने बिल को मुस्लिम विरोधी कहा
जहां संसद में सांसदों का 1 बड़ा हुजूम मुस्लिम महिलाओं के हित में आवाज उठा रहा था, वहीं कुछ पार्टियां ऐसी थीं जिन्हें न्याय और गरिमा की परिभाषा शायद रास नहीं आई. कांग्रेस नेता शशि थरूर ने ट्रिपल तलाक बिल को मुस्लिम परिवारों के खिलाफ बताया.
ओवैसी ने बिल को संविधान के ही खिलाफ बताया
AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने तो ट्रिपल तलाक बिल को संविधान के ही खिलाफ बता दिया. शशि थरूर और ओवैसी के बयानों का जवाब देते हुए रविशंकर प्रसाद ने ट्रिपल तलाक बिल को नारी के साथ न्याय, गरिमा और इंसाफ से जोड़ा. उन्होंने कहा कि सवाल सियासत, इबादत, धर्म, मजहब का नहीं. सवाल नारी के साथ इंसाफ और गरिमा का है. मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा का है.
बिल के पक्ष में 186 वोट
इसके बाद संसद में भारी हंगामे के बीच जब ट्रिपल तलाक बिल पर वोटिंग हुई तो फैसला न्याय और इंसाफ के पक्ष में था. जहां बिल के विरोध में 74 वोट पड़े, वहीं 186 वोटों के बंपर बहुमत के साथ एक बार फिर ट्रिपल तलाक बिल लोकसभा में पास हो गया. पिछली बार बिल संसद में अटक गया था लेकिन इस बार प्रचंड बहुमत वाली NDA से इस बिल को लेकर काफी उम्मीदें हैं.
कांग्रेस क्यों राजनीति कर रही है?
लेकिन अगर सदन में NDA सदस्यों की स्थिति पहले जैसी होती तो क्या होता? यहां सवाल यह है कि आखिर मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों से जुड़े इस मुद्दे पर कांग्रेस क्यों राजनीति कर रही है? मुस्लिम महिलाओं पर टॉर्चर को खत्म करने वाले इस आंदोलनकारी बिल से असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं को आखिर दिक्कत क्या है?