संघ पर सियासी जंग हुई तेज, यूनीवर्सिटी में RSS का इतिहास पढ़ाने पर कांग्रेस को ऐतराज
राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ को लेकर एक बार फिर सियासी जंग तेज हो गई है. इस बार विवाद की वजह है सिलेबस में संघ की एंट्री.
RSS के बारे में छात्रों को पढ़ाने में कांग्रेस को बेचैनी क्यों हो रही है.
RSS के बारे में छात्रों को पढ़ाने में कांग्रेस को बेचैनी क्यों हो रही है.
राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ को लेकर एक बार फिर सियासी जंग तेज हो गई है. इस बार विवाद की वजह है सिलेबस में संघ की एंट्री. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इतिहास और राष्ट्र निर्माण में उसकी भूमिका को नागपुर विश्वविद्यालय ने अपने पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया है. लेकिन कांग्रेस को इस पर कड़ा ऐतराज है.
यूं तो RSS को लेकर कांग्रेस का विरोध कोई नया नहीं है, लेकिन ताजा विरोध सिलेबस में संघ की एट्री को लेकर है. ये पहली बार हो रहा है जब किसी विश्वविद्यालय ने RSS के इतिहास को छात्रों के कोर्स में शामिल कर दिया है. नागपुर विश्वविद्यालय ने बीए दूसरे साल के पाठ्यक्रम को हाल ही में संशोधित किया है. बीए सेकेंड ईयर में सेमेस्टर 4 के यूनिट 3 में बदलाव हुआ है. अब पहला टॉपिक आरएसएस की राष्ट्र निर्माण में भूमिका है.
इससे पहले सेमेस्टर 4 के यूनिट 3 में सांप्रदायिकता का उदय और विकास था. पाठ्यक्रम में आरएसएस के इतिहास को शामिल करने को लेकर सियासत भी तेज हो गई है. महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण ने तंज कसते हुए ट्वीट किया है - 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’, संविधान और राष्ट्रीय ध्वज का विरोध भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए.' नागपुर विश्वविद्यालय के फैसले पर महाराष्ट्र के शिक्षा जगत में भी काफी विरोध हो रहा है. सरकार पर शिक्षा के भगवाकरण का आरोप लगाया जा रहा है.
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
सवाल ये है कि आखिर RSS के बारे में छात्रों को पढ़ाने में कांग्रेस को बेचैनी क्यों हो रही है. अगर राष्ट्र निर्माण में RSS ने भूमिका निभाई है और उसके बारे में छात्र पढ़ेंगे तो इसपर कांग्रेस जैसी सियासी पार्टियों को दिक्कत क्या है. संघ के विरोध करने वालों को थोड़ा संघ का इतिहास भी निष्पक्ष आंखों से देखना चाहिए. 1947 में संघ के स्वयंसेवकों ने कश्मीर सीमा पर पाकिस्तानी सेना की हरकतों पर नजर रखी थी. संघ ने पाकिस्तान से जान बचाकर आए शरणार्थियों के लिए 3000 से अधिक राहत शिविर लगाए थे. 1962 के युद्ध में संघ के स्वयंसेवक सीमा पर लड़ने के लिए पहुंचे, सेना की हर तरह से मदद की थी. 1965 में पाकिस्तान से युद्ध के समय लालबहादुर शास्त्री ने संघ को दिल्ली में ट्रैफिक संभालने की जिम्मेदारी सौंपी. युद्ध के दौरान कश्मीर की हवाई पट्टियों से बर्फ़ हटाने का काम संघ के स्वयंसेवकों ने किया था. देश में बड़ी आपदाओं के समय भी संघ सामने आया और लोगों की मदद की. ऐसी कई बातें हैं जिससे संघ के राष्ट्रनिर्माण में अहम भूमिका नजर आती है लेकिन नेहरु काल से ही कांग्रेस संघ की अलोचना करती रही है और सियासत का वो दौर आज भी जारी है.
08:09 PM IST