राहुल की गद्दी गई, अब किसको मिलेगी कमान, डूबते जहाज का कौन बनेगा कप्तान?
राहुल गांधी अध्यक्ष रहते हुए तो पार्टी का संकट बने ही, जाते-जाते भी संकट खड़ा कर गए. संकट नए नेतृत्व का. हालांकि, कई नेता अब भी ये मानने को तैयार नहीं कि गांधी परिवार से बाहर कांग्रेस का कोई भविष्य है.
राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा तो दे दिया लेकिन, पार्टी कन्फ्यूजन के नए मुहाने पर खड़ी हो गई है. राहुल ने गद्दी तो छोड़ दी पर, पार्टी का राहु काल खत्म नहीं हुआ.
राहुल गांधी अध्यक्ष रहते हुए तो पार्टी का संकट बने ही, जाते-जाते भी संकट खड़ा कर गए. संकट नए नेतृत्व का. हालांकि, कई नेता अब भी ये मानने को तैयार नहीं कि गांधी परिवार से बाहर कांग्रेस का कोई भविष्य है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ट्वीट में राहुल के लौटने के आस है तो, कुछ नेताओं की उम्मीद है कि पार्टी संकट से जल्द ही उबर जाएगी.
इधर, बीजेपी को कांग्रेस के इस नए संकट पर चुटकी लेने का मौका मिल गया है. बीजेपी कह रही है कि एक चाय वाले का प्रधानमंत्री बन जाना सिर्फ बीजेपी में ही मुमकिन है और कांग्रेस सिर्फ परिवार आधारित पार्टी है. बीजेपी तंज कस रही है कि राहुल गांधी लड़ने की बजाय हथियार डालकर निकल पड़े.
उधर, भाई के फैसले को बहन का साथ मिला है. प्रियंका गांधी ने न सिर्फ राहुल का बचाव किया बल्कि, भाई के इस फैसले को हिम्मत का काम बताया. अपने ट्वीट में प्रिंयका ने कहा कि राहुल के इस फैसला का वह तहे दिल से सम्मान करती हैं. हालांकि विरोधी कह रहे हैं कि प्रियंका का ट्वीट बताता है कि कांग्रेस में अब भी परिवारवाद हावी है.
इस बीच कांग्रेस के नए नेतृत्व पर बहस तेज हो गई है. अंतरिम अध्यक्ष पर मोतीलाल वोरा का नाम तो चला ही, नए अध्यक्ष के तौर पर उनके साथ-साथ मल्लिकार्जुन खड़गे और सुशील कुमार शिंदे के नाम की चर्चा है. इनके अलावा एके एंटनी, अशोक गहलोत और कमलनाथ के नाम की भी चर्चा है तो राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद और अहमद पटेल भी अटकलों की फेहरिस्त में हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस के युवा चेहरों में ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट के नाम चल रहा है.
लेकिन इस पर सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद ही फैसला हो पाएगा. हालांकि ये सभी वे नाम हैं जो गांधी परिवार के बेहद नजदीकी हैं. ऐसे में सवाल ये भी उठाए जा रहे हैं कि अध्यक्ष कोई भी हो पार्टी का रिमोट तो गांधी परिवार के पास ही रहेगा. पार्टी को फैसला भी तुरंत लेना होगा क्योंकि, जल्द ही महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड जैसे अहम राज्यों में चुनाव होने जा रहा है.
सवाल ये है कि अध्यक्ष पद पर कांग्रेस का कन्फ्यूजन आखिर कब खत्म होगा. क्या गांधी परिवार के बाहर का अध्यक्ष पार्टी संभाल पाएगा. क्या बिन गांधी परिवार पार्टी बिखर जाएगी. प्रिंयका जिसे हिम्मत कह रही हैं राहुल का वो इस्तीफा क्या हताशा में दिया गया है.