चुनावी गर्मी खत्म हो चुकी है. देश में नई सरकार आ चुकी है. मंत्रियों ने कामकाज संभाल लिया है. देश विकास के पथ पर आगे बढ़ने को तैयार है. लेकिन पश्चिम बंगाल में चुनावी राजनीति का आंच अभी ठंडी नहीं हुई है. दीदी का गुस्सा ज्यों का त्यों है. हिंसा की आग बुझी नहीं है और राजनीति चरम पर है. ऊपर से दीदी ने ईद के मौके पर एक बार फिर विरोधियों को चूर-चूर करने की धमकी दे डाली है. 

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दीदी के इस बयान पर सियासत फिर गर्मा गई है. आरएसएस ने ममता दीदी को फिर घेर लिया है. आरएसएस और बीजेपी का आरोप है कि ममता पाप और अपराध दोनों कर रही हैं. 

इस बीच बंगाल में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. कूचबिहार के दिनहाटा में तृणमूल कार्यकर्ता अजीजुर रहमान की लोगों ने पीट पीटकर हत्या कर दी. टीएमसी कार्यकर्ताओं ने हत्या का आरोप बीजेपी पर लगाया है. हालांकि बीजेपी ने आरोपों को खारिज करते हुए इसे आपसी लड़ाई का नतीजा बताया. 

 

इससे पहले मंगलवार को दमदम में टीएमसी वर्कर निर्मल कुंडू की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इससे पहले बर्दवान में भी बीजेपी और टीएमसी के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई. उपद्रवियों ने कई घरों और दुकानों में आग लगी दी. बीजेपी का आरोप है कि हिंसा टीएमसी ने की. इससे पहले पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्दवान जिले में बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या हुई थी. कुल मिलाकर पश्चिम बंगाल में हिंसा और राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप जारी हैं. ताजा विवाद जय श्रीराम के नारे पर भड़का हुआ है. ममता बनर्जी के सामने जैसे ही कोई जय श्रीराम का नारा लगाता है. 

 

दीदी भड़क उठती हैं. बीजेपी इसे ही मुद्दा बनाकर लगातार ममता बनर्जी पर हमलावर है और ममता जय बांग्ला का नारे के साथ पलटवार कर रही हैं. सवाल ये है कि आखिर कब ममता बनर्जी आरोप प्रत्यारोप की राजनीति छोड़ राज्य में हिंसा रोकने पर ध्यान देंगी. ममता दीदी को जय श्रीराम के नारे से गुस्सा क्यों आता है. क्या बीजेपी अब जय श्रीराम के नारे के सहारे ही बंगाल फतह करने की तैयारी में है. और आखिर कब थमेगी बंगाल में हिंसा.