बिहार में चमकी के कहर से दम तोड़ते बच्चों की सुध लेने पहुंचे मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार पर जनता का गुस्‍सा फूट पड़ा. अब भी दर्जनों बच्‍चे मुजफ्फरपुर में एसकेएमसीएच अस्पताल में भर्ती हैं. CM के 15 दिन पर अस्‍पताल पहुंचने पर भीड़ खासी नाराज दिखी. ये गुस्सा था, उस लेटलतीफी पर जिसने बच्चों की मौत को मजाक बना दिया. ये गुस्सा है उस असवंदेशीलता पर जिसने मासूमों के परिजनों का दर्द दोगुना कर दिया. ये गुस्सा है उस सिस्टम के खिलाफ जिसने बीमारी से ज्यादा बच्चों की जान ली है. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मेडिकल सुप्रींटेंडेंट बोले-नीतीश जी संतुष्‍ट दिखे

जनता जानना चाह रही है कि जिस चमकी ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया उस चमकी से मारे गए बच्चों के परिजनों की गूंज CM के कानों में इतनी देर से क्यों पड़ी? नीतीश आए और बाकी नेताओं की तरह हालात का जायजा लेकर चलते बने. लेकिन उन परिजनों का क्‍या जिनके बच्‍चे अब भी आखिरी सांसे गिन रहे हैं. बिहार सरकार इतना वक्‍त बीतने के बाद भी बच्‍चों के इलाज के पुख्‍ता इंतजाम क्‍यों नहीं कर पाई? नीतीश के दौरे पर SKMCH के मेडिकल सुप्रींटेंडेंट एस के शाही ने कहा कि मुख्यमंत्री जी आए और वह संतुष्ट थे. यह बयान परिजनों के जख्‍म कुरेदने वाला था.

अब जागा प्रशासन

नीतीश कुमार के दौरे से इतनी उम्‍मीद जगी है कि अस्‍पताल में सेवाएं और दवाओं की व्‍यवस्‍था में कुछ सुधार हो जाए. बिहार के मुख्य सचिव ने ऐलान किया है कि मरीजों को अस्पताल आने-जाने का कोई खर्च नहीं उठाना पड़ेगा. मरीजों को फ्लैट 400 रुपए में दिए जाएंगे. इसके अलावा घर घर जाकर मरीजों का पता लगाने और जागरूकता बढ़ाई जाएगी. उधर, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने भी दोहराया कि है राज्य सरकार को हर संभव मदद दी जाएगी.

सांसद बोले-गर्मी से हो रहीं मौतें

राज्य और केन्द्र सरकार दोनों की ओर से वादों की झड़ी लगी हुई है. लेकिन ये कोई बताने को तैयार नहीं कि मासूमों की मौत का सिलसिला कब थमेगा. हां, राज्‍य सरकार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में नेता सुस्ताने और क्रिकेट का स्कोर पूछना नहीं भूल रहे थे. सांसद अजय निषाद कहते हैं कि गर्मी की वजह से बच्चों की मौत हुई और बच्चों का दुश्मन 4जी यानी गर्मी, गांव, गरीबी और गंदगी है. 

अब तक 125 बच्‍चों की मौत

एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी चमकी बुखार से सवा सौ से ज्यादा बच्चों की सांसें थम गई हैं. अब सवाल यह है कि कौन है इन बच्चों की मौत का जिम्मेदार? चमकी बुखार या लचर और लापरवाह सिस्टम? आखिर क्यों सीएम से लेकर केन्द्रीय मंत्री तक ये आश्वस्त नहीं कर पा रहे हैं कि अब बच्चों की मौत नहीं होगी.