पराली के पॉल्यूशन का निकला तोड़, किसानों की मदद करेगा PUSA डिकंपोजर
दिल्ली-NCR के लोग इस बार सर्दियों में पॉल्यूशन से परेशान नहीं होंगे. इसके लिए दिल्ली सरकार ने खास योजना तैयार की है.
दिल्ली-NCR के लोग इस बार सर्दियों में पॉल्यूशन से परेशान नहीं होंगे. इसके लिए दिल्ली सरकार ने खास योजना तैयार की है. सरकार किसानों को ऐसी तकनीक देगी जिससे पराली खेत में ही खाद का काम करेगी. इसमें दिल्ली के पूसा संस्थान की नई तकनीक मदद करेगी.
एआरएआई (PUSA) की नई तकनीक पूसा डीकंपोजर (PUSA Decomposer) कहलाती है. पहले कैप्सूल को मिलाकर लिक्विड तैयार किया जाता है. फिर 8-10 दिनों में खेतों में छिड़काव किया जाता है. कैप्सूल की लागत केवल 20 रुपये प्रति एकड़ है और प्रभावी रूप से प्रति एकड़ 4-5 टन कच्चे भूसे को खत्म किया जा सकता है.
पराली पर केमिकल के छिड़काव में जो भी खर्चा आएगा, वह सरकार उठाएगी. इससे किसानों पर कोई बोझ भी नहीं पड़ेगा और पराली की समस्या का हल भी हो जाएगा.
पंजाब (Punjab) और हरियाणा (Haryana) के कृषि क्षेत्रों में बीते 4 साल में एआरएआई के शोध में अच्छे नतीजे सामने आए हैं, जिससे पराली जलाने की जरूरत नहीं रहती. इससे किसानों की खाद की जरूरत कम हो जाती है. साथ ही अच्छी पैदावार मिलती है.
CM अरविंद केजरीवाल ने इसका इस्तेमाल दिल्ली और आसपास के खेतों में करने का आदेश दिया है. बता दें कि पंजाब में 20 मिलियन टन पराली होती है, जिसमें से पिछले साल 9 मिलियन टन पराली जलाई गई. जबकि हरियाणा में 7 मिलियन में से 1.23 मिलियन टन पराली जलाई गई.
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पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के मुताबिक इस तकनीक का इस्तेमाल दिल्ली में सफल रहा तो पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों से भी इसे इस्तेमाल करने के लिए कहेंगे. बहुत से किसानों को इस तकनीक का फायदा मिलेगा.