आयुष्मान भारत को देश भर में लागू होने में महज दो दिन का वक्त रह गया है. इस योजना के लिए सरकार की तैयारियां तो पूरी हो गई है लेकिन एक सवाल अब भी बहुत उलझा और गहराया सा है. इस स्कीम से 31 राज्यों ने हाथ मिलाया है लेकिन दिल्ली जो देश का मेडिकल हब माना जाता है, वो इस स्कीम से अब तक नदारद है. ऐसे में सबके मन में सवाल है कि अगर कोई मरीज दिल्ली के अस्पतालों में इलाज के लिए आता है तो उसको इस स्कीम का लाभ मिलेगा या नहीं.

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सूत्र बता रहे हैं कि दिल्ली इस स्कीम के लिए तैयार नहीं है. यही नहीं वो अपनी नई स्वास्थ्य स्कीम लाने की योजना बना रही है, हालांकि अभी स्कीम का नाम तय नहीं हुआ है. इस बारे में जब हमने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के सीईओ इंदु भूषण से पूछा तो उन्होंने ये साफ कर दिया कि दिल्ली ने ऐसी शर्तें रखी हैं, जिसे केंद्र सरकार नहीं मान सकती है.

 

उन्होंने बताया, 'यह एक नेशनल स्कीम है और हम दिल्ली में मुख्यमंत्री के नाम के हिसाब से इसे नहीं रखेंगे और ड्राफ्ट में जो भी शर्तें दिल्ली सरकार ने लिखी है वो फिलहाल तो नहीं मानी जाएगी. दिल्ली फिलहाल तैयार नहीं है तो थोड़ी दिक्कत तो दिल्ली के प्राइवेट अस्पताल को लेकर आएगी'  

इससे पहले दिल्ली ने शर्त रखी थी कि अगर इस स्कीम के साथ 'मुख्यमंत्री' या 'आम आदमी' का नाम जोड़ा जाएगा तो वे इसके लिए हामी भरेंगे. अगर दिल्ली समझौते में देर करती है तो केंद्र सरकार ने फिलहाल किसी विकल्प पर विचार नहीं किया है कि कैसे मरीजों को इस सेवा का लाभ दिया जाएगा. हमने इस बारे में मैक्स, अपोलो, कैलाश जैसे प्राइवेट अस्पताल के बड़े दिग्गजों से बात की है. उनका कहना है कि अभी तक अस्पतालों को सूची में शामिल नहीं किया गया है.'