ऑनलाइन नहीं खरीद पाएंगे दवा, दिल्ली हाईकोर्ट ने e-pharmacy पर लगाई रोक
सितंबर में स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवाओं की ऑनलाइन बिक्री का एक ड्राफ्ट तैयार किया था. इस ड्राफ्ट के मुताबिक, ऑनलाइन दवा की बिक्री के लिए ई फार्मेसी को एक केंद्रीय प्राधिकार के पास पंजीकरण करवाना होगा.
मद्रास हाईकोर्ट के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने भी दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगा दी है. खासबात ये हैं कि दिल्ली हाईकोर्ट ने यह रोक पूरे देश में लगाई है. कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को इस आदेश को फौरन अमल में लाने के निर्देश दिए हैं.
चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वीके रॉय की खंडपीड ने एक पीआईएल पर सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया है. कोर्ट में दिल्ली के डर्मेटोलॉजिस्ट जहीर अहमद की अपील पर सुनवाई चल रही थी. जहीर अहमद ने तर्क दिया कि बिना डॉक्टरों की संतुति और विनियमन के लाखों दवाएं रोजाना इंटरनेट पर बेची जा रही हैं. जिनसे मरीजों के जीवन के साथ चिकित्सकों की साख पर खतरा है.
जहीर अहमद के वकील नकुल मोहता ने कोर्ट को बताया कि दवाओं की ऑनलाइन बिक्री में ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 तथा फार्मेसी एक्ट 1948 का उल्लंघन किया जा रहा है. इस अपील में यह भी उल्लेख किया गया था कि भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ने 2015 में सभी राज्यों को ड्रग कंट्रोलर को ऑनलाइन दवा की बिक्री के दौरान जनता के स्वास्थ्य के हित को ध्यान में रखने के निर्देश दिए थे.
बता दें कि इस साल सितंबर में स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवाओं की ऑनलाइन बिक्री का एक ड्राफ्ट तैयार किया था. इस ड्राफ्ट के मुताबिक, ऑनलाइन दवा की बिक्री के लिए ई फार्मेसी को एक केंद्रीय प्राधिकार के पास पंजीकरण करवाना होगा. इन कंपनियों को मादक द्रव्यों की बिक्री की अनुमति नहीं होगी. ऑनलाइन फार्मेसी को केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन ( सीडीएससीओ ) के यहां पंजीकरण करवाना होगा.
मद्रास हाईकोर्ट ने भी लगाई रोक
दिल्ली हाईकोर्ट से पहले पिछले महीने 'केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन' की याचिका पर सुनवाई करते हुए ऑनलाइन फार्मेसी पर रोक लगाने के आदेश दिए थे. एसोसिएशन की दलील थी कि ऑनलाइन दवाइयों से लोगों को तो सुविधाजनक हो सकती है लेकिन बिना लाइसेंस वाले स्टोर से दवा खरीदना जोखिम भरा होता है.
क्या है दिक्कत
ऑनलाइन दवा की बिक्री के मामले एक सबसे बड़ी दिक्कत ड्रग कानून है. दरअसल, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 तथा फार्मेसी एक्ट 1948 उस समय का है जब कंप्यूटर नहीं थे. सारा रिकॉर्ड फाइलों और लेनदेन प्रत्यक्षरूप से होता था. इसलिए इन कानूनों में ऑनलाइन बिक्री जैसा कोई मुद्दा ही नहीं है. इसलिए ऑनलाइन दवा की बिक्री को लेकर कोई नियम-कानून भी नहीं है. इसी बात का फायदा ई-फार्मेसी कंपनियों द्वारा उठाया जा रहा है.
सरकार ने बनाए नए नियम
पिछले महीने स्वास्थ्य मंत्रालय ने ई-फार्मेसी से दवा बेचने पर नियम का मसौदा तैयार किया था. इस मसौदे के मुताबिक ई-फार्मेसी के माध्यम से दवाओं की बिक्री पर नियम के तहत कोई भी व्यक्ति पंजीकरण के बगैर स्टोरेज, वितरण या ई-फार्मेसी के माध्यम से दवाओं की बिक्री नहीं कर सकता. जो भी व्यक्ति ई-फार्मेसी का काम करना चाहता है, उसे रजिस्ट्रेशन कराना होगा और रजिस्ट्रेशन कराने वालों को सूचना तकनीक अधिनियम 2000 के नियमों की पालना करना होगा. लाइसेंस फीस 50,000 रुपये तय की गई थी और हर तीन साल में रजिस्ट्रेशन को रिन्यू कराने का प्रावधान रखा गया था. लेकिन अभी यह कानून बनकर सामने नहीं आया है.