इस बार भारत में मॉनसून अच्छा रहा है और यह देर तक यहां ठहरा है. मॉनसून की देर से हुई वापसी का लाभ रबी सीजन की फसलों की बुआई को फायदा होगा.  कृषि आयुक्त एसके मल्होत्रा ​​के अनुसार दक्षिण पश्चिम मॉनसून की वापसी में देर होने से गेहूं और सरसों जैसी सर्दी (रबी) फसलों का फायदा होगा, जिसकी बुआई राजस्थान में कुछ जगहों पर शुरू हुई है.

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गेहूं, जौ, चना, मसूर, रेपसीड, सरसों और सूरजमुखी जैसे रबी फसलों की बुआई आमतौर पर अक्टूबर से फरवरी तक शुरू होती है और कटाई का काम मार्च से शुरू होता है.

कृषि आयुक्त ​​ने कहा कि फसल की पैदावार काफी कुछ मिट्टी की नमी पर निर्भर करती है. बारिश के देर से खत्म होने के चलते, रबी बुआई शुरू करने के लिए कुछ राज्यों में मिट्टी में पर्याप्त नमी मौजूद है. इस साल, भारत के अधिकांश हिस्सों से मानसून की वापसी में एक सितंबर के सामान्य समय के मुकाबले एक महीने की देर हुई है.

उन्होंने कहा कि अनुकूल मिट्टी की स्थिति के कारण, राजस्थान के किसानों ने सरसों की फसल लगाना शुरू कर दिया है और आने वाले सप्ताह में अन्य रबी फसलों की बुआई शुरू हो जाएगी.

उन्होंने इस साल सरसों खेती के रकबे में वृद्धि होने की बात कहते हुए कहा कि पिछले साल कहा था कि सरसों के खेती में चार लाख हेक्टेयर की कमी आई थी क्योंकि फसल को देर से हुई बारिश का लाभ नहीं मिल पाया था. उन्होंने कहा कि हालांकि, स्थिति इस साल अधिक अनुकूल है. रबी फसलों की खेती सात से 7.2 करोड़ हेक्टेयर में की जाती है.

मल्होत्रा ने कहा कि गेहूं के मामले में किसान अभी भी अपने खेतों को तैयार करने में लगे हैं और आम तौर पर इसकी बुवाई उन क्षेत्रों में शुरु होती है जहां सिंचाई की सुनिश्चित व्यवस्था होती है. सरकार ने चालू वर्ष के लिए 10 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा है जो उत्पादन वर्ष 2017-18 में 9.97 करोड़ टन का हुआ था.