Cyber Crime in India: 9 महीनों में साइबर अपराधियों ने लूटे ₹11,333 करोड़, इस जगह पर लोग हुए सबसे ज्यादा शिकार
भारत में साइबर अपराध को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं वो वाकई चौंकाने वाले हैं. इन आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2024 के पहले 9 महीनों में भारत ने साइबर अपराधों के कारण ₹11,333 करोड़ गंवाए हैं.
बीते कुछ वर्षों से साइबर अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. स्कैमर्स हर दिन इसके लिए नए-नए तरीके ढूंढ रहे हैं. ये अपराधी इस तरह से जाल बिछाते हैं कि व्यक्ति उसमें उलझता चला जाता है. भारत में साइबर अपराध को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं वो वाकई चौंकाने वाले हैं. इन आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2024 के पहले 9 महीनों में भारत ने साइबर अपराधों के कारण ₹11,333 करोड़ गंवाए हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े
India Cyber Crime Coordination Centre (I4C) के मुताबिक 12 लाख साइबर धोखाधड़ी की शिकायतें दर्ज की गईं. South East Asia में लोग सबसे ज्यादा साइबर क्राइम के शिकार हुए. सबसे ज्यादा 45% शिकायतें South East Asia से दर्ज की गई थीं. इसमें भी Stock Trading Scam सबसे अधिक दर्ज किए गए. स्टॉक ट्रेडिंग स्कैम के कारण ₹4636 करोड़ का नुकसान हुआ. वहीं इन्वेस्टमेंट से जुड़े के कारण ₹3216 करोड़ का नुकसान हुआ. चोरी किए गए पैसे को आमतौर पर Cheque, CBDC, ATM, या E-Wallets से निकाला गया.
बता दें कि हाल ही में साइबर फ्रॉड पर लगाम कसने के लिए गृह मंत्रालय की I4C विंंग ने Telecom Ministry के साथ मिलकर दक्षिण-पूर्व एशिया के साइबर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले 17,000 व्हाट्सएप अकाउंट को ब्लॉक किया था. I4C साइबर और डिजिटल क्राइम निषेध पर काम करने वाला संगठन है, जो गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम करता है.
डिजिटल अरेस्ट में शामिल थे ज्यादातर नंबर
जानकारी के मुताबिक कंबोडिया और म्यांमार और लाओस से चल रहे डिजिटल अरेस्ट और साइबर फ्रॉड संबधित कॉल सेंटर की जांच लंबे समय से एजेंसियां कर रही थीं. I4C विंंग ने Telecom Ministry के साथ मिलकर जिन नंबरों पर पर कार्रवाई की, उनमें से 50 प्रतिशत से ज्यादा नंबर तो जनवरी 2024 में ही शुरू हुए थे. इन नंबरों के जरिए कई सारे फ्रॉड किए गए. ज्यादातर इसमें ‘डिजिटल अरेस्ट' के मामले शामिल थे. ज्यादातर नंबर कंबोडिया, म्यामांर लाओस,और थाईलैंड से एक्टिव थे.
क्या है डिजिटल अरेस्ट
साइबर क्राइम का यह बिलकुल नया तरीका है, जिसमें स्कैमर्स पुलिस, सीबीआई या कस्टम का अधिकारी बनकर आपको कॉल करते हैं और डराकर घर पर ही बंधक बना लेते हैं. फर्जी अधिकारी बनकर स्कैमर्स ये दावा करते हैं कि आपके पैन और आधार का इस्तेमाल करके कुछ किया गया है या मनी लॉन्ड्रिंग की गई है. आपके नाम से कोई पार्सल आया है जिसमें ड्रग्स या प्रतिबंधित चीजें हैं. इस बीच वो वीडियो कॉल पर लगातार बने रहने के लिए कहते हैं. इन सब बातों से पीड़ित व्यक्ति इतना डर चुका होता है कि वो उन सारी बातों को सच मान बैठता है और जैसा स्कैमर्स कहते हैं, उनकी बातों में आकर सब करता रहता है. इसके बाद डिजिटल अरेस्ट के शिकार व्यक्ति से पैसे ऐंठने का खेल शुरू होता है.
पीएम मोदी मन की बात में कर चुके हैं जिक्र
भारत में बीते कुछ समय से डिजिटल अरेस्ट की घटनाएं बहुत तेजी से बढ़ी हैं. पीएम मोदी ने डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड को लेकर मन की बात कार्यक्रम में जिक्र किया था. पीएम ने कहा था कि कभी कोई ऐसा कॉल आए तो डरना नहीं चाहिए. याद रखिए कि कोई भी जांच एजेंसी फोन पर पूछताछ नहीं करती है. पीएम ने डिजिटल सुरक्षा के तीन चरण बताए थे - रुको, सोचो, एक्शन लो. साथ ही पीएम ने ऐसी किसी घटना का अंदेशा होने पर राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 और साइबर क्राइम की वेबसाइट पुलिस को सूचित करने की बात कही थी.