पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी से लेकर पूरी अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ कर रख दी है. इसके अलावा सड़कों पर फैलता प्लास्टिक कचरा भी जी का जंजाल बनता जा रहा है. इन दोनों समस्याओं से निजात दिलाने के लिए सरकार समेत तमाम एक्सपर्ट दिनरात हल ढूंढने में लगे हुए हैं. क्या ऐसा भी हो सकता है कि इन दोनों ही समस्याओं का हल एक ही हो. पहली दफा सुनने में तो यह अटपटा जरूर लगेगा, क्योंकि कहां पेट्रोल-डीजल और कहां प्लास्टिक. इनका आपस में मेल ही क्या जो इनका हल एक हो सकता है.

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लेकिन यह सच है. विशेषज्ञों ने तेल की बढ़ती कीमतों और प्लास्टिक के बढ़ते कचरे से निजात दिलाने का एक ही समाधान खोज निकाला है और वह है प्लास्टिक से डीजल बनाना. 

देहरादून में तैयार हो रहा है प्लास्टिक डीजल

जानकारी के मुताबिक वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) जल्द ही प्लास्टिक से बने डीजल का वाहनों में टेस्टिंग शुरू करने जा रहा है. सीएसआईआर की देहरादून स्थित लैब इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम (आईआईपी) ने प्लास्टिक से डीजल बनाने की तकनीक डवलप की है.

हिन्दुस्तान में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक, आईआईपी के वैज्ञानिकों ने 10 किलोग्राम प्लास्टिक कचरे से 8 लीटर डीजल तैयार किया है. इसका एक बड़ा प्लांट भी तैयार किया जा रहा है. इस प्लांट में 1,000 किलोग्राम प्लास्टिक कचरे से 800 लीटर डीजल रोजाना तैयार होगा. 

जनवरी में होगा ट्रायल

खबर में बताया गया है कि जनवरी में प्लास्टिक से तैयार डीजल से वाहनों प्रयोग का ट्रायल शुरू किया जाएगा. इसके लिए वाहनों के इंजन में कोई बदलाव नहीं करना होगा और वाहन में पूरी तरह से तैयार प्लास्टिक डीजल का इस्तेमाल किया जाएगा.

आईआईपी के मुताबिक, प्लास्टिक डीजल में और पेट्रोलियम डीजल में कोई फर्क नहीं है. बस दोनों का तैयार करने का जरिया अलग-अलग है. वाहनों में ट्रायल के कामयाब होने के बाद इस तकनीक को उद्योग को सौंप दिया जाएगा.

वैज्ञानिकों का कहना है कि प्लास्टिक से डीजल तैयार करने के दो फायदे हैं, एक तो देश को आयात किए जा रहे डीजल से आत्मनिर्भरता कम होगी. डीजल के दामों में कमी आएगी और प्लास्टिक के कचरे से भी मुक्ति मिलेगी.

लखनऊ में भी चल रहा है प्रयोग

उत्तर प्रदेश सरकार लखनऊ में प्लास्टिक से डीजल बनाने का प्रोसेसिंग प्लांट लगाने जा रही है. पीपीपी मोड पर नगर निगम की मदद से यह प्लांट लगाया जाएगा. इस प्लांट पर लगभग 100 करोड़ रुपये का खर्च आएगा और योगी सरकार इसके लिए 30 फीसदी का अनुदान देगी. उत्तर प्रदेश में प्लास्टिक डीजल बनाने का प्रस्ताव चेन्नई की कंपनी एमके एरोमैटिक ने दिया था.  

घर-घर बन रहा है प्लास्टिक से डीजल

प्लास्टिक से डीजल बनाने का प्रयोग कई देशों में काफी पहले से हो रहा है. सीरिया में तो यह प्रयोग करके लोगों ने कमाई करनी भी शुरू कर दी थी. अब तो सीरिया में यह काम बड़े पैमाने पर हो रहा है. यहां प्लास्टिक के कचरे को एक सीलबंद बॉयलर में पकाया जाता है, जिसकी भाप को एक पाइप के जरिए दूसरे ड्रम में उतारा जाता है. प्लास्टिक को ऐसे बॉयलर में पकाया जाता है जिसमें ऑक्सीजन नहीं होती और ऑक्सीजन न

मिलने से प्लास्टिक गर्म होकर जलता नहीं बल्कि पिघलने और खौलने लगता है. इससे उठने वाली भाप के वाटर टैंक में गिरती है. पानी होने के कारण भाप एक तरल पदार्थ बन जाता है. फिर इसकी प्रोसेसिंग करके इसे अलग कर लिया जाता है और यही पदार्थ डीजल होता है.