एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला कहा जाने वाला बिहार का सोनपुर मेला पिछले कई वर्षों से अपनी चमक खोता जा रहा है और इस साल सबसे अधिक मार पड़ी है गाय बाजार पर. सोनपुर मेले में गाय बाजार पूरी तरह सिमट गया है और वहां वीरानी छाई हुई है. कुछ लोग इसे गौरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा जोड़कर देख रहे हैं, जबकि बाजार के पुराने दलालों का कहना है कि केंद्र सरकार ने पशु बाजार एवं मेलों में पशुओं को स्लाटर हाउस में कत्ल करने के मकसद से बेचे जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस कारण बाजार में मंदी है.

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प्रभात खबर की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में मेला शुरू होने के पहले सप्ताह में ही करीब 900 गायें पंजीकृत हुई थीं. लेकिन, इस बार उनकी संख्या सिर्फ 27 है. यह बड़ी गिरावट है, जिससे गायों का बाजार सिमट गया है. इसके पहले बैल बाजार खत्म हो गया था, क्योंकि कृषि की नयी तकनीक और यंत्रों ने उसे लील लिया था. 

हैरत में कारोबारी

स्थानीय जितेंद्र सिंह ने बताया, 'गायों की संख्या इतनी घटी है कि हमलोगों को हैरत होती है. 2010 में 50 लाख रुपये की गायें बिकी थीं, जो रिकॉर्ड है. उस वक्त यहां देश के विभिन्न हिस्सों से गायें आती थीं. हरियाणा से आयी एक जर्सी गाय मेले की शान थी, जो पांच लाख रुपये में बिकी थी. वह 35 किलो दूध देती थी.'

वन्यजीव संरक्षण कानून के तहत हाथी बाजार और पक्षियों के बाजार पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया गया है, जो सोनपुर मेले के मुख्य आकर्षण हुआ करते थे. बिहार सरकार मेले को लोकप्रिय बनाए रखने के लिए हस्तशिल्प को प्रोत्साहन दे रही है. हालांकि मेला आयोजकों की मांग है कि मेले में अगर टैक्स छूट दिया जाए, तो यहां बड़ी कंपनियों और ग्राहकों की दिलचस्पी बढ़ सकती है.