Covid 19 से लड़ने के लिए दुनियाभर में सरकारें अपने-अपने तरीके अपना रही हैं. भारत में भी Health sector को काफी मजबूत किया जा रहा है. इसके लिए Ppe kit, testing kit, वेंटिलेटर, Vaccine आदि डेवलप करने के लिए स्‍वदेशी प्रयास चल रहे हैं. इस बीच, देश की 10 कंपनियों को covid 19 testing kit बनाने में कामयाबी मिल गई है.

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इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने एक बार फिर रैपिड टेस्ट किट बनाने वाली कंपनियों की लिस्ट जारी की है. आईसीएमआर के मुताबिक अब तक 42 से ज्यादा किट की जांच की गई है, जिनमें से 13 सही पाई गई हैं. इन 13 में से 10 किट बनाने वाली कंपनियां भारतीय कंपनियां हैं.

लेकिन इस लिस्ट के साथ ही ICMR ने यह भी साफ कर दिया है कि इस टेस्ट के जरिए कोरोना वायरस (Coronavirus) इन्फेक्शन की जांच ना की जाए यानी कि कोरोनावायरस इंफेक्शन है या नहीं इसकी पुष्टि के लिए इन किट का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

इन किट का इस्तेमाल कहां-कहां किया जा सकता है, यह भी इसी लिस्ट में बताया गया है. ICMR के मुताबिक इंफेक्शन होने के 7 से 10 दिन के बाद ही रैपिड किट से टेस्ट के पॉजिटिव आने की आशंका होती है. इस किट का इस्तेमाल प्लाज्मा सैंपल की जांच के लिए किया जा सकता है.

इस किट के जरिए आने वाले नतीजे गलत भी हो सकते हैं. इस किट से आधे घंटे में नतीजे पाए जा सकते हैं. यही इसका सबसे बड़ा फायदा है. यह भी कहा गया है कि अगर टेस्टिंग किट में कोरोनावायरस का नतीजा पॉजिटिव आता है तो इसका मतलब यह है कि कोविड-19 से व्यक्ति का एक्स्पोज़र हो चुका है, बस इतनी ही जानकारी के लिए इसका इस्तेमाल किया जाए. कोरोना वायरस है या नहीं, इसकी कंफर्म जांच अब भी आरटी पीसीआर टेस्ट से ही हो सकती है.

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इससे पहले उत्‍तर प्रदेश सरकार ने ICMR से प्रमाणित Corona testing Lab में टेस्‍ट की फीस तय कर दी थी. सरकार के आदेश के मुताबिक Covid 19 की एक चरण की जांच के लिए सिर्फ 2500 रुपए वसूले जाएंगे.

बता दें कि ICMR ने फीस तय नहीं की है, जिससे प्राइवेट लैब को मनमानी करने की छूट मिल गई है. इसलिए योगी सरकार ने फीस तय कर दी है. अभी लैब 4500 रुपए तक एक चरण की जांच के लिए वसूल रही हैं.