गुजरात की स्टर्लिंग बायोटेक कंपनी द्वारा 5,000 करोड़ के बैंक घोटाले के मामले में कोर्ट ने कंपनी के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है. कोर्ट ने इस मामले में ईडी के आरोपपत्र को संज्ञान में लेते हुए कंपनी संचालकों में एक रंजीत मलिक ऊर्फ जॉनी के खिलाफ पेशी वारंट जारी किया है. कोर्ट ने रंजीत को उसके समक्ष पेश होने का आदेश दिया है. इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 29 सितंबर, शनिवार को रंजीत मलिक के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दायर किया था.

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मलिक को कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के सरकारी आवास पर 25 लाख रुपये नकद भेजने के आरोप में गिरफ्तार किया था. इसी संदर्भ में पूछताछ के लिए रंजीत मलिक से पूछताछ के लिए वारंट जारी किया गया है. दिल्ली की पटिलाया हाउस कोर्ट ने यह वारंट जारी किया है. अदालत ने ईडी के विशेष लोक अभियोजक नीतेश राणा द्वारा दायर आरोपपत्र को विचार के लिए तीन अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध किया था.

कोर्ट 5,000 करोड़ के इस बैंक घोटाले में स्टर्लिंग बायोटेक के संचालक चेतन जयंतीलाल संदेसरा और नितिन संदेसरा के खिलाफ पहले ही गैर जमानती वारंट जारी कर चुकी है. लेकिन नितिन अपने भाई और परिवार के बाद भारत छोड़ चुका है और बताया जा रहा है कि वह इन दिनों नाईजीरिया में शरण लिए हुए है. इस मामले में पुलिस रंजीत को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. अतिरिक्त सत्र न्यायधीश न्यायमूर्ति सतीश कुमार अरोड़ा ने रंजीत मलिक ऊर्फ जॉनी की न्यायिक हिरासत की अवधि भी 9 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी थी. 

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ये है मामला

प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर आरोपपत्र में कहा गया है कि अहमदाबाद की फार्मा कंपनी स्टर्लिंग बायोटेक के निदेशकों ने आंध्र बैंक की अगुआई वाले बैंकों के एक समूह से पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक का ऋण लिया था जिसे नहीं चुकाया गया और बाद में यह कर्ज एनपीए बन गया. जांच एजेंसी ने आंध्र बैंक के एक पूर्व निदेशक अनुप प्रकाश गर्ग को फरवरी में तथा दिल्ली के कारोबारी गगन धवन को पिछले साल नवंबर में गिरफ्तार किया था. बताया जा रहा है कि रंजीत मलिक गगन धवन का बिचौलिया था.

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सीबीआई ने 2017 में संदेसरा ब्रदर्स के खिलाफ मामला दर्ज किया था और तभी से नितिन और उसका भाई फरार हैं. सीबीआई ने दोनों भाइयों के अलवा नितिन की भाभी दीप्ति संसेदरा, स्टर्लिंग बायोटेक के निदेशक राजभूषण ओमप्रकाश दीक्षित, विलास जोशी, चार्टर्ड अकाउंटेंट हेमंत और आंध्रा बैंक के पूर्व निदेशक अनूप गर्ग के खिलाफ भी मामला दर्ज किया था. 

कांग्रेसी नेता से करीबी संबंध

जांच एजेंसी द्वारा तहकीकात करने पर पता चला है कि संदेसरा ग्रुप के मालिकों के कांग्रेस के एक कद्दावर नेता से करीबी संबंध थे और ये लोग इस नेता के दामाद को भी समय-समय पर भुगतान किया करते थे.