पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को एयरसेल-मैक्सिस मामले में गिरफ्तारी से दी गई अंतरिम राहत सोमवार को एक नवंबर तक बढ़ा दी गई. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने याचिका पर विस्तृत जवाब देने के लिए अदालत से अतिरिक्त समय मांगा है. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी इस बात की जांच कर रहे हैं कि कैसे 2006 में कार्ति चिदंबरम ने एयरसेल-मैक्सिस करार करवाने में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी हासिल की थी. 

सीबीआई ने 29 अगस्त, 2014 को मामले में एक आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि जुलाई 2004 और सितंबर 2008 के बीच संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के पहले कार्यकाल में मंत्री दयानिधि मारन ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर मलेशियाई व्यापारी टी.ए. आनंद कृष्णनन की मदद एयरसेल को खरीदने में की और इसके लिए एयरसेल के मालिक शिवशंकरन पर दबाव डाला.

शिवशंकरन ने आरोप लगाया था कि मारन ने उनकी कंपनी के अधिग्रहण में कृष्णनन के मैक्सिस समूह का पक्ष लिया था. इसके बदले मैक्सिस ने एस्ट्रो नेटवर्क के जरिए निवेश किया, जो सन डायरेक्ट टीवी प्राइवेट लिमिटेड (एसडीटीपीएल) की सहयोगी कंपनी है और जिसका मालिक मारन परिवार है.

एक विशेष अदालत ने हालांकि पूर्व संचार मंत्री दयानिधि मारन, उनके भाई कलानिधि और अन्य पर एयरसेल-मैक्सिस करार में 742 करोड़ रुपये रिश्वत लेने के मामले में आरोप हटा दिए थे और कहा था कि 'धारणा या संदेह' के पीछे कोई ठोस सबूत नहीं है.

सीबीआई ने 19 जुलाई को इस मामले में चिदंबरम और उनके बेटे सहित 18 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किए थे.

(इनपुट आईएएनएस से)