Work From Home: कोरोना महामारी देश में काम करने का एक नया कल्चर लेकर आई, जिसे कहा गया वर्क फ्रॉम होम. इस दौरान ज्यादातर कर्मचारियों ने घर से बैठकर ही काम किया. हालांकि 2 साल पहले आई इस महामारी पर अब काबू पा लिया गया है. लेकिन अभी भी कुछ इलाकों में वर्क फ्रॉम होम देने की बात कही जा रही है. वाणिज्य मंत्रालय की ओर से स्पेशल इकोनॉमिक जोन में रहने वाले लोगों को 100 फीसदी वर्क फ्रॉम होम देने की योजना बनाई जा रही है. कॉमर्स और इंडस्ट्री मिनिस्टर पीयूष गोयल ने मंगलवार को इस बात की जानकारी दी. बता दें कि मौजूदा समय में स्पेशल इकोनॉमिक जोन (Special Economic Zone) में 1 साल के लिए ही वर्क फ्रॉम होम देने की इजाजत है और इसे 50 फीसदी कर्मचारियों तक बढ़ाया जा सकता है. 

कोरोना के डर के चलते बनाई ये योजना

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पीयूष गोयल ने बताया कि सरकार के पास अलग-अलग हिस्सों से रिक्वेस्ट आ रही थी कि दूसरे देशों में अभी भी कोविड संबंधित प्रतिबंध लगाए गए हैं और लोग अभी भी दफ्तर नहीं आ रहे हैं. पीयूष गोयल ने कहा कि कोविड के समय हमने स्पेशल इकोनॉमिक जोन में वर्क फ्रॉम होम की परमिशन दी हुई है. इससे सर्विस एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने में सफलता मिली है. पिछले साल ये 354 बिलियन डॉलर था और इस साल भी इसमे इजाफा हो सकता है. 

वर्क फ्रॉम होम से निकलेंगी नौकरियां

पीयूष गोयल का कहना है कि वर्क फ्रॉम होम से छोटे शहर जैसे राजकोट और उना में नौकरियों के अवसर पैदा होंगे. वर्क फ्रॉम होम को मंजूरी देना देश के हित में है. उन्होंने आगे कहा कि ये स्पेशल इकोनॉमिक जोन में सभी सेक्टर के लिए होगा. 

देश में कितने स्पेशल इकोनॉमिक जोन

मौजूदा समय में देश में 8 स्पेशल इकोनॉमिक जोन हैं. इसमें सांताक्रूज (महाराष्ट्र), कोच्चि (केरल), कांडला और सूरत (गुजरात), चेन्नई (तमिलनाडु), विशाखापट्टनम (आंध्र प्रदेश), फाल्टा (पश्चिम बंगाल) और नोएडा (उत्तर प्रदेश) शामिल हैं. 

क्या है स्पेशल इकोनॉमिक जोन?

स्पेशल इकोनॉमिक जोन वो एरिया है, जहां एक ही कैंपस के अंदर ऑटो पार्ट्स के व्यावसायिक गतिविधियां चलाने की सुविधा होती है. व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए जमीन, पानी और बिजली समेत जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है. टैक्स में पहले 5 साल के लिए छूट दी जाती है और उसके बाद मात्र आधा टैक्स लगता है.