पीएसीएल (PACL) या पर्ल्स ग्रुप के निवेशकों का करीब 7 साल लंबा इंतजार खत्म होने वाला है और ये उम्मीद जगी है कि उनके खून-पसीने की गाढ़ी कमाई उन्हें वापस मिल जाएगी. चिट फंड कंपनी पीएसीएल जिसे आम निवेशक पर्ल्स ग्रुप के नाम से जानते हैं, उसने 18 वर्षों के दौरान मुख्य रूप से उत्तर भारत में करीब 6 करोड़ निवेशकों से 49000 करोड़ रुपये जुटा लिए. पीएसीएल की शुरुआत कृषि और रियल एस्टेट कंपनी के तौर पर हुई थी, लेकिन उनसे निवेशकों को धोखे में रखकर एक निवेश कंपनी के तौर पर उनसे धन उगाह लिया.

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इसके बाद पीएसीएल ने 2013 से निवेशकों को उनकी रकम लौटाना बंद कर दिया. इसके बाद जब सेबी का ध्यान इस ओर गया तो उनसे 2014 में कंपनी के कारोबार को अवैध ठहराते हुए उस पर प्रतिबंध लगा दिया. लेकिन असली सवाल था कि 6 करोड़ निवेशकों के 49000 करोड़ रुपये कैसे मिलेंगे. इसके लिए पर्ल्स के निवेशकों ने 'ऑल इन्वेस्टर्स सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन' नाम से संस्था बनाई और विरोध प्रदर्शन करने के साथ ही कोर्ट में भी गुहार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने आम निवेशकों को हितों को देखते हुए रिटायर्ड चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर दिया. अगर आज पर्ल्स के 6 करोड़ निवेशक अपना पैसा वापस पाने की उम्मीद संजोए हुए हैं, तो उसकी वजह आरएम लोढ़ा समिति ही है. इस समिति ने पर्ल्स की सभी संपत्तियों को कब्जे में लेने और सेबी की निगरानी में उन्हें बेचकर निवेशकों का पैसा लौटाने का आदेश दिया.

फिलहाल तीन एजेंसियां पीएसीएल की संपत्तियों को बेचने का काम कर रही हैं. ये एजेंसियां हैं - यूटीआई इंफ्रास्ट्रक्चर टेकनालॉजीज एंड सर्विसेज, एचडीएफसी रियल्टी लिमिटेड और एसबीआई कैपिटल मार्केट लिमिटेड. पीएसीएल की संपत्तियां चंडीगढ़, गोवा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, हरियाणा, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में हैं. पीएसीएल की कुल संपत्तियों की संख्या करीब 43000 है.

पर्ल्स ने निवेशकों से पैसा जुटाने के लिए उन्हें आकर्षक ब्याज दर की पेशकश की, जबकि एजेंट को तगड़ा कमीशन दिया. ऐसे में ब्याज और कमीशन के लालच में बड़ी संख्या में लोगों ने अपना पैसा लगा दिया. सुप्रीम कोर्ट की पहल के चलते अब सेबी ने निवेशकों को उनका पैसा लौटाने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है. इस बारे में अधिक जानकारी http://sebipaclrefund.co.in/ इस वेबसाइट पर उपलब्ध है. पीएसीएल जैसी चिट फंड कंपनियों के फलने-फूलने के लिए हमारी राजनीतिक व्यवस्था और प्रशासन तंत्र जिम्मेदार है, लेकिन एक वजह आम निवेशकों का लालच भी है. सोचने वाली बात है कि जब एसबीआई एफडी पर मुश्किल से 7 प्रतिशत ब्याज और 0.5 प्रतिशत कमीशन दे पाती है, तो कोई अनजान कंपनी 20 प्रतिशत ब्याज और 10 प्रतिशत कमीशन कैसे दे सकती है!