Chandrayaan 2 मिशन के तहत भेजे गए विक्रम लैंडर की तस्वीरें शनिवार को ऑर्बिटर ने भेजी हैं. इसके बाद से ISRO लगातार विक्रम लैंडर से संपर्क करने की हर संभव कोशिश कर रहा है. चंद्रयान -1 के निदेशक एम. अन्नादुराई ने बताया कि चंद्रमा की सतह पर बहुत से गढ्ढे और पहाड़ जैसी बाधाएं हैं. इसी के चलते लैंडर विक्रम (Vikram Lander) को सिग्नल भेजने और उससे सिग्नल रिसीव करने में दिक्कत हो रही हैं.

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सॉफ्ट लैंडिंग के लिए बेहतर जगह नहीं

न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में अन्नादुराई ने बताया कि जिस जगह पर लैंडर उतरा है, वह सॉफ्ट लैंडिंग के लिए बेहतर जगह नहीं है. वहां कुछ बाधाएं हो सकती हैं, जो कि हमें उससे संपर्क स्थापित करने से रोक रही हैं. उन्होंने बताया कि 'पहले चंद्रयान के ऑर्बिटर ने संपर्क साधने के लिए लैंडर को सिग्नल भेजे, लेकिन मौजूदा हाल में यह देखना होगा कि वह सिग्नल पकड़ पाता है या नहीं.

दोनों तरफ से होता है कम्यूनिकेशन

उन्होंने बताया कि ऑर्बिटर और लैंडर के बीच हमेशा दोनों तरफ से कम्यूनिकेशन होता है, लेकिन हम एक तरफा ही कम्यूनिकेशन करने की कोशिश कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि अगर विक्रम लैंडर से संपर्क हुआ भी तो ज्यादा देर के लिए इसे बनाए रखपाना मुश्किल होगा. इसके अलावा उन्होंने कहा, 'यह एक मुश्किल स्थिति है लेकिन हमारे वैज्ञानिक इसे संभालने में काफी सक्षम हैं.'

14 दिनों तक जारी रहेगा प्रयास

ISRO के वैज्ञानिक ‘लैंडर' विक्रम से कम्यूनिकेशन करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि जितना समय निकल जाएगा यह काम उतना मुश्किल होता जाएगा. इसरो प्रमुख के. सिवन ने शनिवार को कहा था कि अंतरिक्ष एजेंसी 14 दिनों तक लैंडर से संपर्क बहाल करने की कोशिश करेगी.