अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम को लेकर बड़ा खुलासा किया है. नासा का कहना है कि 6 और 7 सितंबर की रात विक्रम जब चंद्रमा पर उतर रहा था तो उसने हार्ड लैंडिंग की थी. आपको बता दें कि नासा ने चंद्रमा के साउथ पोल के उस हिस्‍से की तस्‍वीरें ली हैं, जहां विक्रम की लैंडिंग होनी थी. अभी विक्रम का पता नहीं चल सकता है, क्‍योंकि चंद्रमा पर अंधेरा है. लेकिन 5-6 अक्‍टूबर को जब चंद्रमा पर सूरज की रोशनी पड़ेगी तो फिर विक्रम को ढूंढने की कोशिश होगी.

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नासा ने जो तस्‍वीरें भेजी हैं वह 150 किमी दूर से ली गई हैं. सतह पर पूरी तरह अंधेरा है. नासा को उम्‍मीद है कि विक्रम इसी अंधेरे में छिपा है. नासा ने विक्रम की खोज के लिए Lunar Reconnaissance Orbiter Camera (LROC) को तैनात किया है, जिसने ये तस्‍वीरें भेजी हैं. 

ISRO भी कर रहा कोशिश

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने डीप स्पेस नेटवर्क (DSN) के साथ भारत के चंद्रमा लैंडर तक सिग्नल भेजने और संचार स्थापित करने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है. इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) विक्रम को रेडियो सिग्नल भेज रही है.

 अक्‍टूबर में शुरू होगा प्रयास

अधिकारी ने बताया कि चंद्रमा के विक्रम के साथ संचार लिंक फिर से स्थापित करने के लिए अक्‍टूबर में प्रयास शुरू होगा. इसरो बेंगलुरु के पास बयालालू में अपने भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क (IDSN) के जरिए विक्रम के साथ संचार स्थापित करने की कोशिश कर रहा है.

टॉयली ने जताई उम्‍मीद

खगोलविद स्कॉट टायली ने भी ट्वीट कर विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित होने की प्रबल संभावना जताई है. टायली ने 2018 में अमेरिका के मौसम उपग्रह (वैदर सैटेलाइट) को ढूंढ निकाला था. यह इमेज सैटेलाइट नासा द्वारा 2000 में लॉन्च की गई थी, जिसके 5 साल बाद इससे संपर्क टूट गया था.

7 सितंबर को टूटा संपर्क

7 सितंबर को विक्रम लैंडर को चंद्रमा के साउथ पोल की सतह पर सॉफ्ट लैंडिग करनी थी. इससे पहले की वह यह कर पाता उसने नियंत्रण खो दिया और वहां उसने क्रैश लैंडिग की.