भारत के चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग की सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं. उल्टी गिनती जारी है. चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट के जरिए की जाएगी. आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दोपहर बाद 2 बजकर, 43 मिनट पर चंद्रयान-2 अपने लक्ष्य की ओर उड़ान भरेगा.

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खास बात यह है कि लॉन्चिंग की तारीख आगे बढ़ाने के बावजूद चंद्रयान-2 चंद्रमा पर अपने पूर्व निर्धारित समय 6-7 सितंबर को ही पहुंचेगा. चंद्रयान-2 को पहले चांद तक अपनी यात्रा 54 दिन में पूरी करनी थी, लेकिन अब यह इस यात्रा को 48 दिन में पूरी करेगा.

चंद्रयान-2 समय पर चंद्रमा की सतह पर उतरे इसके लिए वैज्ञानिकों ने खास तैयारी की है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने बताया की चंद्रयान-2 के समय पर पहुंचाने का मकसद यही है कि लैंडर और रोवर तय कार्यक्रम के हिसाब से काम कर सकें. चंद्रयान 7 दिन की देरी से उड़ान भर रहा है और फिर भी यह तय समय पर ही चंद्रमा पर उतरेगा, इसकी वजह के बारे में वैज्ञानिकों ने बताया कि समय बचाने के लिए चंद्रयान पृथ्वी का एक चक्कर कम लगाएगा. पहले इसको पृथ्वी के 5 चक्कर लगाने थे, पर अब 4 चक्कर लगाएगा.

समय पर लैंडिंग के पीछे वैज्ञानिकों ने बताया कि चंद्रयान-2 लैंडिंग ऐसी जगह होगी, जहां सूरज की रोशनी ज्यादा होती है. रोशनी 21 सितंबर के बाद कम होनी शुरू हो जाएगी. लैंडर-रोवर को चंद्रमा पर 15 दिन काम करना है, इसलिए वक्त पर पहुंचना जरूरी है. 

बता दें कि चंद्रयान की लॉन्चिंग के लिए 20 घंटे की गिनती रविवार शाम 6.43 बजे शुरू हुई थी. श्रीहरिकोटा में रविवार को ही लॉन्चिंग का पूर्वाभ्यास किया गया और इस दौरान सभी मानक सामान्य पाए गए. इसरो के अध्यक्ष डॉक्टर के. सिवन ने कहा कि मिशन के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.

डॉक्टर के. सिवन ने मीडिया को बताया, 'चन्‍द्रयान-2 प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अगली छलांग है. जिसमें हमारा लैंडर चन्‍द्रमा के दक्षिणी ध्रूव पर सॉफ्ट लैंडिंग यानी सहज रूप से आराम से उतरेगा. यह प्रक्रिया बहुत ही जटील है और 15 मिनट का यह समय रोमांच से भरा होगा.'

बता दें कि इससे पहले चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग 15 जुलाई को होनी थी लेकिन, तय समय से लगभग एक घंटे पहले तकनीकी खराबी का पता चलने के कारण इसे रोक देना पड़ा. लॉन्चिंग में देरी के कारण सात दिन के नुकसान की भरपाई के लिए चंद्रयान-2 की उड़ान अवधि में बदलाव कर 54 दिन से घटाकर 48 दिन कर दी गई है. पहले की योजना के अनुसार ही चंद्रयान-2 सात सितम्बर को चंद्रमा पर पहुंच जाएगा. इस अभियान पर 978 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।

चंद्रमा पर चंद्रयान का काम

चंद्रयान-2 को चांद पर भेजने के पीछे का मकसद भारत की अंतरिक्ष विज्ञान में बड़ी उपलब्धि तो है ही साथ ही यह चंद्रयान-2 चंद्रमा की मिट्टी में खनिजों और रासायनिक तत्‍वों के मिश्रण का अध्‍ययन करेगा, चांद के दक्षिण ध्रूव पर पानी या बर्फ की खोज करेगा, उसके वातावरण का परीक्षण करेगा, चंद्र भूकंपीय गतिविधियों का अध्‍ययन करना और कैमरों से उसकी तस्वीरें भी लेगा. मिशन के वैज्ञानिक चन्‍द्रमा की सतह पर 15 महत्‍वपूर्ण परीक्षण करेंगे.

7,000 लोग देखेंगे सीधा प्रसारण

मिशन चंद्रयान-2 को लेकर सरकार, वैज्ञानिकों से लेकर आम आदमी तक में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. इसरो ने अपने कार्यक्रमों में आम आदमी को शामिल करने के लिए एक गैलरी बनाई है, जिसमें 10,000 लोगों के बैठने की क्षमता है. चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को देखने के लिए 7,000 से अधिक लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है.