केंद्र सरकार ने शुगर मिलों के लिए नई भट्टियां स्थापित करने या देश में फर्स्ट जेनेरेशन की इथेनॉल क्षमता (Ethanol Capacity) को बढ़ाने के लिए मौजूदा फेसिलिटी का विस्तार करने के लिए रियायती ब्याद दर पर लोन प्राप्त करने के लिए नए प्रपोजल मंगाए हैं. इसके लिए सरकार ने अक्टूबर तक छह महीने का विंडो खोला है.

छह महीने के लिए खोली विंडो

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यह सुनिश्चित करने के लिए कि केवल महत्वपूर्ण परियोजना समर्थकों को खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (DFPD) द्वारा सैद्धांतिक मंजूरी दी जा सके, परियोजना के लिए भूमि का अधिग्रहण करने वाले और पर्यावरण संबंधी मंजूरी प्राप्त करने वाले परियोजना समर्थकों से नए सिरे से आवेदन आमंत्रित करने के लिए एक विंडो खोली गई है. 

जानकारी के मुताबिक छह महीने की अवधि 21 अप्रैल से 22 अक्टूबर तक की विंडो खोली गई है.

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इथेनॉल प्रोडक्शन में मिलेगी मदद

खाद्य मंत्रालय के अनुसार, इस निर्णय से चीनी मिलों (Sugar Mills) को नई डिस्टिलरी स्थापित करने या अपनी मौजूदा डिस्टिलरी का विस्तार करने में सुविधा होगी और इस तरह अतिरिक्त गन्ना / चीनी को इथेनॉल में बदलने में मदद मिलेगी.

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "नई अनाज आधारित भट्टियां उत्तर-पूर्वी राज्यों, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और बिहार, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों जैसे घाटे वाले राज्यों में आएंगी. इससे इथेनॉल (Ethanol) के डिस्ट्रीब्यूटेड प्रोडेक्शन में मदद मिलेगी."

क्या होगा फायदा

2014 से पहले शीरा आधारित डिस्टिलरी की इथेनॉल आसवन क्षमता केवल 215 करोड़ लीटर थी. हालांकि, पिछले 7 वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा किए गए नीतिगत परिवर्तनों के कारण, शीरा आधारित डिस्टिलरी की क्षमता में डेढ़ गुना वृद्धि हुई और वर्तमान में अनाज आधारित डिस्टिलरी की क्षमता 569 करोड़ लीटर हो गई, जो 2013 में 206 करोड़ लीटर थी, जो 280 करोड़ लीटर की वृद्धि का सूचक है. 

इस प्रकार, देश में कुल इथेनॉल उत्पादन (Ethanol Production) क्षमता 849 करोड़ लीटर तक पहुंच गई है. हालांकि, 2025 तक 20 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए इथेनॉल उत्पादन क्षमता को लगभग 1700 करोड़ लीटर तक बढ़ाने की आवश्यकता है. यह विंडो खोलने से इथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी.

गन्ना किसानों को मिलेगी राहत

केंद्र सरकार ने विशेष रूप से इसकी पर्याप्तता वाले मौसम में इथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने और इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम के तहत इसकी आपूर्ति बढ़ाकर, चीनी मिलों (Sugar Mills) द्वारा भुगतान की स्थिति में सुधार करते हुए उन्हें किसानों के गन्ना मूल्य बकाया का भुगतान करने में सक्षम बनाया है.

2018-2021 के दौरान चीनी मिलों (Sugar Mill) और डिस्टिलरी के लिए ब्याज में छूट प्रदान करने के उद्देश्य से कई योजनाएं लागू की गई हैं. सरकार एक साल की राहत सहित पांच साल के लिए बैंकों द्वारा दिए जाने वाले ऋणों पर ब्याज प्रतिवर्ष 6 प्रतिशत की दर से या बैंकों द्वारा ली जाने वाली ब्याज दर का 50 प्रतिशत, जो भी कम हो, के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है.