Road Accident में मिलेगा कैशलेस इलाज, सरकार देगी ₹1.5 लाख तक की मदद, चंडीगढ़ से शुरू हुआ पायलट प्रोजेक्ट
सड़क हादसों में पीड़ित लोगों को समय रहते इलाज दिलाने के लिए सरकार ने कैशलेस इलाज देने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है. इस प्रोजेक्ट की शुरुआत चंडीगढ़ से की गई है. इसका मकसद सड़क हादसों में होने वाली मौतों को कम करना है.
Road Accident के मामलों में सही समय पर इलाज न मिलने के कारण तमाम लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. लेकिन अब इस मामले में लोगों को सरकार से मदद मिलेगी. सरकार ने सड़क हादसे में घायल लोगों को कैशलेस इलाज देने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है. मिनिस्ट्री ऑफ रोड एंड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे (Ministry of Road and Transport and Highways) की ओर से इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत चंडीगढ़ से की गई है. वहां ये प्रोजेक्ट लॉन्च हो गया है.
1.5 लाख रुपए तक का इलाज
सरकार के इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत सड़क हादसों में घायल लोगों को 1.5 लाख रुपए तक का कैशलेस इलाज दिया जाएगा. एक्सीडेंट से 7 दिनों तक इलाज की व्यवस्था रहेगी. सरकार इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत किसी भी तरह के वाहन से हुए एक्सीडेंट को कवर करेगी. वहीं अस्पतालों द्वारा क्लेम की गई रकम मोटर व्हीकल एक्सीडेंट फंड के जरिए खर्च की जाएगी.
सरकार का मकसद सड़क हादसों में होने वाली मौतों को रोकना
सरकार का ये कदम सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को कम करने की अपनी प्रतिबद्धता और मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 162 के तहत कानूनी जनादेश के अनुरूप है. इस प्रोजेक्ट का मकसद गोल्डन ऑवर्स में दुर्घटना पीड़ितों को इलाज देना है. बता दें कि भारत में रोड एक्सीडेंट चिंता का विषय बनता जा रहा है. रोड एक्सीडेंट के मामले में आंकड़े बताते हैं कि भारत में रोड एक्सीडेंट्स के शिकार 10 में से 4 लोग मारे जाते हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी NCRB की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में 4,46,768 सड़क हादसे दर्ज किए गए. इसमें से 4,23,158 लोग घायल हुए और 1,71,100 लोगों की मौत हो गई.
क्या होता है गोल्डन ऑवर
गोल्डन ऑवर का कॉन्सेप्ट उन मामलों पर लागू होता है, जिसमें मरीज को कोई गम्भीर चोट आई हो या कोई अन्य मेडिकल इमरजेंसी हो. गम्भीर चोट के बाद शुरुआती कुछ समय बेहद महत्वपूर्ण होता है. अगर उस समय में सही इलाज मिल जाए तो मरीज की जान को बचाया जा सकता है.