प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में कोरोना वायरस (Coronavirus) के खतरे को देखते हुए हालात की समीक्षा की गई. बैठक के बारे में  जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि देश में जरूरत की चीजों की दुकानें अगले 21 दिन खुलेंगी. ऐसे में जरूरी समान लेने के लिए दुकानों पर लाइन न लगाएं. उन्होंने कहा कि देश के  80 करोड़ लोगो को 2 रुपये में गेहूं और 3 रुपये में चावल मिलेगा. सार्वजनिक वितरण व्यवस्था के तहत ये अनाज बांटा जाएगा. खाद्यान की कमी न हो इसके लिए फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया राज्यों को 3 महीने का एडवांस राशन देगा.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सभी कर्मचारियों को मिलेगा वेतन 

जावड़ेकर ने जानकारी देते हुए बताया कि ठेके पर काम करने वाले सभी कर्मचारियों को वेतन मिल सके इसके लिए भी व्यवस्था की गई है. सभी को मिनिमम वेज मिलेगा. राज्य और केंद्र सरकारें इसमें मिल कर काम कर रहे हैं. सभी राज्य सरकारें इसमें पहल कर रही हैं. 

अफवाहों पर ध्यान न दें 

उन्होंने कहा कि कोरोना के खतरे से निपटने के लिए बेहद जरूरी है कि हम किसी अफवाह पर विश्वास न करें. लोगों को इस बीमारी को लेकर सही जानकारी मिल सके इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट के डैशबोर्ड पर जानकारी देना शुरू किया है. आपको अगर कोई सवाल पूछना है तो भी आप इस वेबसाइट के जरिए अपने सवाल का जवाब पा सकते हैं. इस डैशबोर्ड पर हर घंटे की जानकारी अपड़ेट की जा रही है. सभी राज्यों से भी कहा गया है कि वो अपनी हेल्पलाइन जारी करेगा. बहुत से राज्यों ने हेल्पलाइन जारी भी कर दी है. बुधवार को होम मिनिस्ट्री भी हेल्पलाइन जारी करेगा.

 

इस फंड के जरिए मिलेगा पैसा 

इस संकट की घड़ी में सरकार के मजदूर वर्ग और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिए राहत देने का ऐलान किया है. केंद्र सरकार (Modi Government) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश को कंस्ट्रक्शन मजदूरों (construction workers) के खाते में पैसा भेजने के लिए आदेश जारी कर दिया है. सरकार ने कहा है कि लेबर वेलफेयर बोर्ड में सेस फंड में करीब 52 हजार करोड़ रुपए जमा हैं. दरअसल, भवन और अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण उपकर अधिनियम, 1996 के तहत सरकार सेस (उपकर) वसूलती है. वसूली गई धनराशि सेस फंड में जमा होती है. इस धनराशि से भवन निर्माण कार्य में लगे असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए राहत योजनाएं चलाई जातीं हैं.