बेनामी लेनदेन से जुड़े मामलों को जल्दी से जल्दी निपटाने के लिए सरकार ने बुधवार को अपीलीय न्यायाधिकरण और निर्णयन प्राधिकरण (Adjudicating Authority) की स्थापना को मंजूरी दे दी है. कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए इस निर्णय की जानकारी दी. इससे पहले सरकार ने इसी माह की शुरुआत में 34 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसे सत्र न्यायालयों को अधिसूचित किया था जो कि बेनामी लेनदेन कानून से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालत का कार्य करेंगे.    

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बेनामी लेनदेन उन सौदों को कहा जाता है जो कि फर्जी नाम से किए जाते हैं या फिर संपत्ति के मालिक को मालिकाना हक की जानकारी नहीं होती है या फिर संपत्ति के लिए भुगतान करने वाला शख्स अपना पता नहीं दिया होता है. इस बारे में जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, बेनामी मामलों में निर्णय देने वाला प्राधिकरण और अपीलीय प्राधिकरण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटीडी) में स्थापित किए जाएंगे.  

इसके अलावा, निर्णयन प्राधिकरण की पीठें कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में भी स्थापित की जा सकती हैं. प्रस्तावित प्राधिकरण के चेयरमैन के साथ परामर्श कर इस संबंध में जरूरी अधिसूचना बाद में जारी की जाएगी. विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्राधिकरण की स्थापना को मंजूरी देने से बेनामी संपत्ति के मामलों का बेहतर और प्रभावी निपटान हो सकेगा. इसके अलावा निर्णय देने वाले प्राधिकरण के आदेश के खिलाफ दाखिल अपील को जल्द से जल्द निपटाने में मदद मिलेगी.

बेनामी लेनदेन पर अंकुश लगाने के लिए एक नवंबर 2016 को बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम पारित किया गया था. इसके प्रभावी होने के बाद मौजूद बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम 1988 का नाम बदलकर बेनामी संपत्ति लेनदेन पर निषेध का अधिनियम 1988 हो गया है.