भारत में दिवाली और इससे जुड़े तमाम त्‍योहारों का व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों को बेसब्री से इंतजार रहता है. इस उत्साह से देश के बाजारों में त्योहारी सीजन के दौरान करीब ₹4.25 लाख करोड़ का कारोबार होने की उम्मीद है. ये आकलन रक्षाबंधन से लेकर दिवाली और उसके आसपास के त्‍योहारों तक के बिजनेस को लेकर लगाया गया है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने भारत के तमाम राज्यों में प्रमुख व्यापारिक केंद्रों के रूप में पहचाने जाने वाले 70 शहरों में हाल ही में एक अध्‍ययन किया और पाया कि देश भर के व्यापारियों ने उपभोक्ताओं की मांग और प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए बड़े स्‍तर पर तैयारी की है.

दिल्ली में त्योहारी कारोबार 75,000 करोड़ के पार जाने की उम्‍मीद

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रक्षाबंधन, गणेश पूजा, नवरात्रि, दुर्गा पूजा और दशहरा जैसे त्योहारों के दौरान बड़े पैमाने पर हुई खरीदारी के आधार पर इस साल त्योहारी कारोबार ₹4.25 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है. पिछले साल यह आंकड़ा करीब 3.5 लाख करोड़ रुपए था. अकेले दिल्ली में त्योहारी कारोबार 75,000 करोड़ रुपए को पार करने की उम्मीद है. त्योहारी सीजन के बाद शादियों का सीजन शुरू होगा, इस दौरान भी देशभर के व्यापारियों को भी कारोबार में वृद्धि की उम्मीद है.

इन क्षेत्रों में बिक्री बढ़ने की उम्‍मीद सबसे ज्‍यादा

कैट के महासचिव और चांदनी चौक से सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि त्योहारी सीजन के दौरान करीब 70 करोड़ ग्राहक खरीदारी के लिए बाजारों में आते हैं. लोग 500 रुपए से लेकर कई हजार या लाखों रुपए तक हर कीमत पर खर्च करते हैं, जिससे यह सीजन कारोबारी नजरिए से खासा महत्वपूर्ण हो जाता है. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतिया ने कहा कि त्‍योहारी सीजन के दौरान सभी क्षेत्रों में बिक्री बढ़ेगी, लेकिन उपहार वस्तुओं, मिठाइयों, सूखे मेवों, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, कपड़े, आभूषण, बर्तन, क्रॉकरी, मोबाइल फोन, फर्नीचर, घर की सजावट, रसोई के उपकरण, जूते, सौंदर्य प्रसाधन, आईटी उपकरण, स्टेशनरी, बिजली के सामान, फल, फूल, पूजा सामग्री, मिट्टी के दीये और देवी-देवताओं की मूर्तियों की मांग विशेष रूप से अधिक रहेगी.

कहां कितने प्रॉफिट की उम्‍मीद

होटल, रेस्तरां, बैंक्वेट हॉल, खानपान, इवेंट मैनेजमेंट, कैब सेवाएं, डिलीवरी सेक्टर और कलाकारों सहित सेवा क्षेत्र में भी देश भर में होने वाले कई कार्यक्रमों के कारण अच्छा कारोबार होने की उम्मीद है. भरतिया और खंडेलवाल ने आगे अनुमान लगाया कि त्योहारी कारोबार में अनुमानित ₹4.25 लाख करोड़ में से लगभग 13% खाद्य और किराना क्षेत्र से आएगा, 9% आभूषणों से, 12% कपड़ों और परिधानों से, 4% सूखे मेवों, मिठाइयों और नमकीन से, 3% घरेलू सजावट से, 6% सौंदर्य प्रसाधनों से, 8% इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल से, 3% पूजा सामग्री से, 3% बर्तनों और रसोई उपकरणों से, 2% कन्फेक्शनरी और बेकरी से, 8% उपहार वस्तुओं से, 4% साज-सज्जा और फर्नीचर से और शेष 20% ऑटोमोबाइल, हार्डवेयर, बिजली के सामान, खिलौने और अन्य वस्तुओं से आएगा.

पैकेजिंग उद्योग में भी अच्‍छे-खासे कारोबार की उम्‍मीद

त्योहारी सीजन के दौरान पैकेजिंग उद्योग में भी अच्छा खासा कारोबार होने की उम्मीद है. दिवाली के आसपास कई सारे त्‍योहार होते हैं. इसमें 24 अक्टूबर को अहोई अष्टमी, 29 अक्टूबर को धनतेरस, 1 नवंबर को दिवाली, 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा, 3 नवंबर को भाई दूज, 5 से 8 नवंबर तक छठ पूजा और 13 नवंबर को तुलसी विवाह शामिल हैं. भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा त्योहारों के दौरान स्थानीय स्तर पर निर्मित उत्पादों को खरीदने के आह्वान का देश भर में काफी प्रभाव पड़ा है. जवाब में, CAIT ने देश भर के व्यापारी संगठनों से स्थानीय निर्माताओं, कारीगरों और शिल्पकारों को बाजार में अपने उत्पादों को बढ़ावा देकर समर्थन देने का आग्रह किया है, जिससे दिवाली त्योहार के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत का एक अनूठा दृष्टिकोण प्रदर्शित हो सके. प्रधानमंत्री की 'वोकल फॉर लोकल' और 'आत्मनिर्भर भारत' की पहल ने हाल के वर्षों में चीनी उत्पादों की मांग को काफी कम कर दिया है. देशभर के व्यापारियों ने त्योहारी सीजन के लिए कोई भी चीनी उत्पाद आयात नहीं किया है और उपभोक्ता भी उन्हें खरीदने के लिए इच्छुक नहीं हैं, भले ही वे सस्ते हों. भारत के हितों के खिलाफ चीन की हरकतों ने उपभोक्ताओं को चीनी सामानों से दूर कर दिया है.