Budget 2023: वित्त मंत्रियों की शेरो-शायरी ने बजट भाषणों में मचाई है धूम, सांसदों ने कहा-वाह...वाह, पढ़ें जब मनमोहन सिंह ने की शायरी
Budget 2023: अरुण जेटली सहित कई वित्त मंत्री रहे जिन्होंने इस परंपरा को आगे भी बढ़ाया. आज की तारीख तक हर साल बजट भाषण (Budget speech in India) में आपको शेरो-शायरी सुनने को मिलते हैं.
Budget 2023: आम बजट का भाषण बेहद गंभीर होता है. लेकिन काफी सालों से देखने को मिलता है कि वित्त मंत्री अपने बजट भाषण (Budget speech) के बीच-बीच में कुछ शेरो-शायरी या कविता भी सदन को सुना जाते हैं. एक तरह से कहें कि बजट भाषण के गंभीर माहौल में वित्त मंत्री सदन के सदस्यों में बीच-बीच में इसके जरिये जोश भरने का काम करते हैं. यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) जब देश के वित्त मंत्री हुआ करते थे, तब वह भी अपनी शानदार शेरो-शायरी से पूरे सदन को मेज थपथपाने पर मजबूर कर देते थे.
अरुण जेटली सहित कई वित्त मंत्री रहे जिन्होंने इस परंपरा को आगे भी बढ़ाया. आज की तारीख तक हर साल बजट भाषण (Budget speech in India) में आपको शेरो-शायरी सुनने को मिलते हैं. आइए हम यहां तमाम वित्त मंत्रियों की तरफ से अपने बजट भाषण के बीच कही गई कुछ चुनिंदा शेरो-शायरी से रू-ब-रू हो लेते हैं.
यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है, हवा की ओट लेकर भी चिराग जलता है.
-साल 2019 का बजट पेश करने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
कुछ तो फूल खिलाए हमने, और कुछ फूल खिलाने हैं
मुश्किल है बाग में अब तक,कांटे कई पुराने हैं.
कश्ती चलाने वालों ने जब हार के दी पतवार हमें
लहर-लहर तूफान मिले, और मौज-मौज मझदार हमें
फिर भी दिखाया है हमने और, फिर ये दिखा देंगे सबको
कि इन हालात में आता है दरिया करना पार हमें
इस मोड़ पर घबराकर थम न जाइए आप, जो बात नई है उसेअपनाइए आप
डरते हैं नई राह पे क्यों चलने से हम आगे-आगे, चलते हैं आजाइए आप
- बजट 2016-17 के दौरान तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली
तकाजा है वक्त का कि तूफान से जूझो, कहां तक चलोगे किनारे-किनारे
-साल 2001-02 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा
तारीखों में ऐसे भी मंजर हमने देखे हैं, कि लम्हों ने खता की थी,और सदियों ने सजा पाई.
-साल 1992-93 में तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह
यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रोमा सब मिट गए जहां से, अबतक मगर है बाकी नामोनिशान हमारा.
-साल 1991-92 में तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh)
हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम,वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती.
-2011-12 का रेल बजट पेश करने के दौरान ममता बनर्जी (Mamata Banerjee).
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