Budget 2022: वित्त वर्ष 2022-23 का बजट 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी. यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट होगा. कोरोना की तीसरी लहर के बीच अर्थव्‍यवस्‍था को बजट के जरिए बूस्‍टर डोज देने की तैयारियों में वित्‍त मंत्री की टीम जुटी है. बजट में सरकार रेवेन्‍यू कलेक्‍शन के टैक्‍स का सहारा लेती है. समय-समय पर टैक्‍स की दरों में बदलाव किए जाते हैं. वहीं, कुछ नए टैक्‍स भी लगाए जाते हैं. नए-नए तरह के टैक्‍स की बात तो ठीक है, लेकिन भारत समेत दुनिया में कई ऐसे अजीबोगरीब टैक्‍स लगाए गए, जिन पर एकबारगी भरोसा नहीं होता. इस रिपोर्ट में हम ऐसे 8 टैक्‍सेस की बात कर रहे हैं.

1. मुलाक्‍करम टैक्‍स (ब्रेस्‍ट टैक्‍स) 

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दक्षिण भारत में स्‍टेट ऑफ त्रावनकोर (अब केरल) में महिलाओं पर ब्रेस्‍ट टैक्‍स (मुलाक्‍करम टैक्‍स) लगाया जाता था. 19वीं सदी के शासकों ने वहां यह नियम बनाया था कि छोटी जाति की महिलाएं अपने तन को ऊपर से ढक नहीं सकतीं. उन्‍हें उसे खुला रखना होगा. अगर कोई महिला अपना ऊपरी शरीर ढकती हैं तो उसे टैक्‍स देना होगा. यहां की एक बहादुर महिला नांगेली के बलिदान की बदौलत यह कुप्रथा खत्‍म हुई. इस महिला ने अपने तन को ढका और टैक्‍स लेने वाले अधिकारी को अपनी ब्रेस्‍ट काटकर ही टैक्‍स के रूप में दे दी. नांगेली की मौत हो गई, लेकिन उस घटना के अगले ही दिन त्रावनकोर के महाराजा ने यह टैक्‍स हटा दिया. 

2. फैट टैक्‍स

साल 2016 में केरल सरकार ने बर्गर, पिज्‍जा और मोटापा बढ़ाने वाले इसी तरह के जंक फूड पर 'फैट टैक्‍स' लगाया. सरकार ने इसकी दर 14.5 फीसदी तय की. सरकार का मकसद लोगों को ऐसी चीजें खाने से रोकना है, जिनसे मोटापा बढ़ता है.   

3. घूस देने पर थी टैक्स छूट

साल 2002 तक कुछ खास परिस्थितियों में जर्मनी में घूस पर टैक्स छूट मिलती थी. 1995 में बिजनेस वीक मैगजीन के एडिटोरियल के मुताबिक, इन नियमों के हिसाब से कुछ मामलों में घूस लीगल थी, हालांकि इस नियम का कभी-कभी ही इस्तेमाल होता था. इसके तहत घूस देने वाले को दूसरी पार्टी का नाम बताना होता था. साथ ही इस लेन-देन का या फिर दोनों पक्षों का कोई क्रिमिनल कनेक्शन न होना भी जरूरी था. इसका हिसाब सीधा था, इससे घूस का लेन-देन भी सामने आ जाता था और घूस देने वाले को टैक्स छूट मिल जाती थी. हालांकि, घूस लेने वाले की इनकम पर टैक्स लगता था. नियम का बहुत फायदा नहीं होने और गलत इस्तेमाल ज्यादा होने के बाद यह टैक्स हटा लिया गया. 

4. सिगरेट न पीने पर टैक्स

भारत  समेत दुनिया के लोग सिगरेट पर भरी-भरकम टैक्स देते हैं. हालांकि, चीन के एक प्रांत में 2009 के दौरान ठीक इसका उल्टा हुआ था. साल 2009 में चीन में मंदी का असर जारी था. इस दौरान सेंट्रल चीन के हुबेई प्रांत में सबसे ज्यादा आय सिगरेट पर लगने वाले टैक्स से होती थी. ऐसे में सरकार ने आय बढ़ाने के लिए सिगरेट पैक की बिक्री का कोटा तय कर दिया. कोटा पूरा न होने पर टैक्स लगता था. द टेलीग्राफ में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक गांव को उसके अधिकारियों नें साल में 400 कार्टन सिगरेट खरीदने का आदेश दे दिया था. इस टैक्स नीति का असर यह हुआ कि एक समय पी जाने वाले हर तीसरी सिगरेट चीन में पी जाती थी. इसे देखते हुए साल 2014 में चीन की सरकार ने पब्लिक प्लेस पर सिगरेट पीने पर प्रतिबंध लगा दिए. फिलहाल यह टैक्‍स चलन में नहीं है. 

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5. खिड़कियों पर टैक्स

1696 में इंग्लैंड में खिड़कियों पर टैक्स लगा था. नियम के मुताबिक, घरों में जितनी ज्यादा खिड़कियां होती थी, उस घर के मालिक पर उतना ही ज्यादा टैक्स लगता था. मकान मालिकों ने टैक्स बचाने के लिए घरों पर खिड़कियां कम कर दीं. इसका लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ा, जिसके बाद इस टैक्स को हटा लिया गया. 

6. घरों की ईटों पर टैक्स

1784 में इंग्लैंड में भी एक बार फिर घरों पर टैक्स लगाया गया. इस बार टैक्स घर में लगने वाली ईंटों की संख्या पर लगाया गया. सरकार के मुताबिक, युद्ध के बाद सरकार पर बढ़ते कर्ज को कम करने के लिए ये टैक्स लगाया गया था. इस पर बिल्डरों ने ईंटों का साइज बढ़ा कर टैक्स बचाने की कोशिश की. हालांकि, उनकी चोरी पकड़ी गई और सरकार ने बड़ी ईंटों पर ज्यादा टैक्स लगाना शुरू कर दिया. यह टैक्स 1850 तक जारी रहा. 

7. दाढ़ी, साबुन, हैट, विग पाउडर पर भी लगे थे टैक्स

खुद को बेहतर दिखाने की चाहत का भी सरकारों ने समय-समय पर फायदा उठाया है. ब्रिटेन में 15वीं शताब्दी से लेकर 17वीं शताब्दी तक कई ऐसे टैक्स लगे थे जो सीधे तौर पर लोगों के सजने संवरने से जुड़े थे. इसमें हैट, साबुन और विग पाउडर टैक्स शामिल थे. खास बात यह है कि इस तरह से रहन-सहन का तरीका दूसरे देशों में नए टैक्स के रूप में दिखा. सन 1705 में रूसी रूलर पीटर द ग्रेट ने दाढ़ी टैक्‍स लागू किया. जार ब्रिटेन के दौरे के दौरान क्लीनशेव रहने वाले ब्रिटिश एलीट क्‍लास से प्रभावित हुए थे और उन्होने रूस में दाढ़ी की चलन खत्म करने के लिए इस पर टैक्स लगा दिया. ऐसा ही एक टैक्स अमेरिकी के प्रांत में लगा है, जहां टैटू पर 6 फीसदी का टैक्स लगाया जाता है. 

8. बच्‍चे के नाम पर टैक्‍स 

स्‍वीडन में बच्‍चे का नाम तीन लोग तय करते हैं माता-पिता और टैक्‍स अफसर. स्‍वीडन में लोगों को अपने बच्‍चे का नाम टैक्‍स अथॉरिटी से क्लियर कराना होता है. अगर ऐसा नहीं किया, तो उन पर करीब 770 अमेरिकी डॉलर तक का टैक्‍स लग सकता है. शुरू में यह कानून इस वजह से बनाया गया था कि कोई राजघराने से जुड़े लोगों के नाम पर अपने बच्‍चे का नाम न रख पाए. बाद में यह दलील देकर कानून को जारी रखा गया कि मां-बाप अपने बच्‍चे का ऐसा नाम न रखें जिससे किसी तरह का कन्‍फ्यूजन पैदा हो. पिछले साल सितंबर में एक ऐसा ही मामला सामने आया, जब स्‍वीडिश टैक्‍स अथॉरिटी ने एक कपल का नाम रूसी प्रेसिडेंट ब्‍लादिमीर पुतिन के नाम पर रखने के प्रपोजल को खारिज कर दिया था.