क्‍या आप जानते हैं कि भारतीयों का विदेशों में जमा अघोषित धन (Black Money) सम्पत्ति कितना है. संसद की 1 समिति ने खुलासा किया है कि भारतीयों ने 1980 से 2010 के बीच 216.48 अरब डालर से 490 अरब डालर के बीच काला धन विदेशी बैंकों में जमा किया. समिति ने सोमवार को ऐसी रिपोर्ट संसद में पेश की है. 

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3 प्रतिष्ठित संस्‍थानों ने तैयार की रिपोर्ट

यह रपट देश के 3 प्रतिष्ठित आर्थिक और वित्तीय शोध संस्थानों, राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (NIPFP), राष्ट्रीय व्यावहारिक आर्थिक शोध परिषद (NCEAR) और राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंध संस्थान (NIFM) के अध्ययनों के आधार पर रखी गई है.

इन क्षेत्रों में होता है सबसे ज्‍यादा इस्‍तेमाल

वित्त पर स्थायी समिति की लोकसभा में प्रस्तुत इस रपट के अनुसार इन तीनों संस्थानों का निष्कर्ष है कि अचल सम्पत्ति, खनन, औषधि, पान मसाला, गुटका, सिगरेट-तम्बाकू, सर्राफा, जिंस, फिल्म और शिक्षा के कारोबार में काली कमाई या अघोषित धन का लेन-देन अपेक्षाकृत अधिक है. 

कालेधन का कोई विश्वसनीय हिसाब किताब नहीं

संसदीय समिति की ‘‘देश के अंदर और बाहर अघोषित आय/ सम्पत्ति की स्थिति-एक आलोचनात्मक विश्लेषण’’ शीर्षक इस रपट में कहा गया है कि कमाए या जमा कराए गए कालेधन का कोई विश्वसनीय हिसाब किताब नहीं है. इसके आकलन के लिए कोई सर्वमान्य पद्धति भी नहीं है. इस बारे में ‘‘सभी अनुमान बुनियादी मान्यताओं और उसमें किए गए समायोजनों की बारीकियों पर निर्भर करते हैं.’’ 

9,41,837 करोड़ रुपये भेजा बाहर

एनआईएफएम का अनुमान कि इस दौरान अवैध तरीके से देश से बार भेजी गयी धन-सम्मत्ति 9,41,837 करोड़ रुपये या 216.48 अरब डालर के बराबर रही. संस्थान का यह भी कहना है कि अवैध तरीके से विदेश भेजा गया काला धन कुल कालेधन के औसतन दस प्रतिशत के बराबर रहा होगा.

एनआईपीएफपी का अलग अनुमान 

एनआईपीएफपी का अनुमान है कि 1997-2009 की अवधि में गैर कानूनी तरीके से बाहर भेजा गया धन देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के औसतन 0.2% से 7.4% के बीच था. कालेधन पर राजनीतिक विवाद के बीच मार्च 2011 में तत्कालीन सरकार ने इस तीनों संस्थाओं को देश और देश के बार भारतीयों के कालेधन का अध्ययन/सर्वेक्षण करने की जिम्मेदारी दी थी. 

साझा अनुमान निकाला

रपट में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि अघोषित घन सम्पत्ति का कोई विश्वसनीय आकलन करना बड़ा कठिन काम है. संसदीय समिति की रपट में कहा गया है, ‘मुख्य आर्थिक सलाहकार का विचार है कि इन तीनों रपटों के आंकड़ों के आधार पर अघोषित संपत्ति का कोई एक साझा अनुमान निकालने की गुंजाइश नहीं है.’ 

मोइली की अध्‍यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट

कांग्रेस के एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली इस स्थायी समिति ने 16वीं लोक सभा भंग होने से पहले गत 28 मार्च को ही लोकसभा अध्यक्ष को अपनी रपट सौंप दी थी. इसके बाद आम चुनाव हुये और 17वीं लोकसभा का गठन हुआ है. 

एजेंसी इनपुट के साथ