Ramdhari singh Dinkar Birthday: राष्ट्रकवि रामधारी सिंह की आज 114वीं जयंती है. वे एक भारतीय हिंदी और मैथिली भाषा के कवि, निबंधकार, स्वतंत्रता सेनानी, देशभक्त और अकादमिक थे. उनके जन्मदिन के अवसर पर देश में कई जगहों पर कई तरह के प्रोग्राम चल रहे हैं. उनका जन्म 23 सितंबर 1908 को बिहार के मुंगेर में हुआ था. दिनकर के पिता रवि सिंह साधारण किसान थे. जब वे दो साल के थे तभी उनके पिता की मौत हो गई थी. इस कारण दिनकर और उनके भाई-बहनों का पालन-पोषण विधवा मां के जिम्‍मे आ गया. कई पुरस्कार से सम्मानित राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ने पटना यूनिवर्सिटी से इतिहास, राजनीति विज्ञान में बीए किया. बीए के बाद वे एक स्कूल में टीचर की नौकरी करने लगे.  खास बात यह कि जिस पटना विश्वविद्यालय के छात्र दिनकर रहे, वहां भी उनकी रचनाओं को पढ़ाया जा रहा है. वो मुजफ्फरपुर कॉलेज में हिंदी विभाग के प्रमुख थे और भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में काम करते थे. उसके बाद उन्हें भारत सरकार का हिंदी सलाहकार बनाया गया. उन्हें कई भाषाओं की जानकारी थी. जिनमें संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू मुख्य था. कई पुरस्कार से सम्मानित राष्ट्रकवि रामधारी एक प्रमुख लेखक, कवि और निबंधकार थे. उनकी रचनाओं के लिए उन्हें पद्म विभूषण की उपाधि से भी नवाजा गया था. उनकी पुस्तक संस्कृति के चार अध्याय के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार और उर्वशी के लिये भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया. 1952 में जब भारत की पहली संसद बनी तो रामधारी सिंह दिनकर को  राज्यसभा सदस्य बनाया गया और वो दिल्ली पहुंच गए. रामधारी सिंह दिनकर जी का परिवार रामधारी सिंह दिनकर के पिता का नाम बाबू रवि सिंह था.उनकी माता का नाम मनरूप देवी था. उनके दो भाई थे. जिनका नाम केदारनाथ सिंह और रामसेवक सिंह था. उनका पत्नी का नाम श्यामावती देवी था. उनका एक बेटा भी था लेकिन बेटे के नाम का कहीं भी जिक्र नहीं हैं. दिनकर ने महात्मा और नेहरू पर भी लिखा रामधारी सिंह दिनकर ने भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर महात्मा गांधी पर भी लिखा. एक बार दिल्ली में हो रहे कवि सम्मेलन में पंडित नेहरू पहुंचे. सीढ़ियों से उतरते वक्त वो अचानक लड़खड़ाए, इसी बीच दिनकर ने उनको सहारा दिया. नेहरू ने उन्हें धन्यवाद कहा.  इस पर दिनकर तपाक से बोले-जब जब राजनीति लड़खड़ाएगी, तब-तब साहित्य उसे सहारा देगा. रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध पुस्तक 'संस्कृति के चार अध्याय' की प्रस्तावना तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लिखी है. इस प्रस्तावना में नेहरू ने दिनकर को अपना 'मित्र' बताया है. कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित रामधारी सिंह दिनकर की पहली रचना 'रेणुका' है, जो 30 के दशक में प्रकाशित हुई थी. इसके कुछ साल बाद जब उनकी रचना 'हुंकार' प्रकाशित हुई, तो देश के युवा उनकी लेखनी से काफी प्रभावित हुए. दिनकर जी को उनकी रचना 'संस्कृति के चार अध्याय' के लिए 1959 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 'उर्वशी' के लिए भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया. भारत सरकार ने उन्हें 1959 में पद्म भूषण से नवाजा। 24 अप्रैल, 1974 को 65 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. कई लोगों से प्रभावित रचनाएं दिनकर की रचनाओं को लेकर कहा जाता है कि उनकी लेखनी इकबाल और टैगोर की करीब है. कभी यह भी कहा गया कि वे उनकी रचनाएं मार्क्स या गांधी से प्रभावित है.दिनकर सत्ता के करीब रहकर भी कभी जनता से दूर नहीं हुए. रामधारी सिंह दिनकर की प्रमुख रचनाएं कौन कौन सी है? काव्य बारदोली-विजय संदेश (1928) प्रणभंग (1929) रेणुका (1935) हुंकार (1938) रसवन्ती (1939) द्वंद्वगीत (1940) कुरुक्षेत्र (1946) धूप-छाँह (1947)