दिल्ली : VAT विभाग के खाते हैक कर लगाई 250 करोड़ की चपत, 8,000 कारोबारी निशाने पर
टैक्स चोरी का यह खेल पिछले 6 वर्षों से चल रहा है. शुरुआती जांच में पता चला है कि अब तक इस फर्जी लेनदेन में 8760 कारोबारियों की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है.
दिल्ली सरकार के व्यापार और कर विभाग (वैट) को साइबर हैकर्स ने मोटी चपत लगाई है. हैकर्स ने वैट विभाग के पासवर्ड और टैक्स जमा होने वाले 13 बैंक खातों को हैक करके 262 करोड़ रुपये का टैक्स चोरी कर लिया. दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने इस सनसनी खेज मामले का खुलासा किया है. दिल्ली सरकार ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में इस बारे में एक मामला दर्ज कराया है.
मनीष सिसोदिया ने मीडिया को बताया कि साइबर एक्सपर्ट्स की मदद से इस मामले का खुलासा हुआ है. उन्होंने बताया कि जांच में यह बात सामने आई है कि टैक्स की यह चोरी वर्ष 2013 से चल रही थी. उन्होंने कहा कि टैक्स चोरी का यह अपनेआप में अनूठा और गंभीर मामला है.
3 महीने से चल रही थी जांच
दिल्ली के डिप्टी सीएम एवं वित्त मंत्री सिसोदिया ने बताया कि 3 महीने पर व्यापार और कर विभाग को इस चोरी के बारे में शिकायत मिली थी. टैक्स चोरी की सूचना पर उन्होंने बैंक के साथ मिलकर जांच की तो पता चला कि टैक्स के रूप में जो पैसा खातों में जमा किया जा रहा है वह सरकारी खातों में नहीं पहुंच रहा है, जबकि उसे बैंक के खातों में दर्शाया जा रहा है.
8760 करोबारी निशाने पर
मनीष सिसोदिया ने बताया कि टैक्स चोरी का यह खेल पिछले 6 वर्षों से चल रहा है. शुरुआती जांच में पता चला है कि अब तक इस फर्जी लेनदेन में 8760 कारोबारियों की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है. इन कारोबारियों ने सितंबर 2013 से अबतक 31 हजार से अधिक फर्जी लेनदेन के जरिए 262 करोड़ रुपये से अधिक की टैक्स चोरी की है. उन्होंने बताया कि अब तो पूरी जांच के बात मामले की सही तस्वीर सामने आएगी.
कैसे होता था खेल
वैट विभाग ने बताया कि आरोपी कारोबारियों ने वैट विभाग के लॉगइन पासवर्ड और टैक्स का पैसा जमा होने वाले 13 बैंक खातों को हैक किया हुआ था. संदिग्ध कारोबारी पासवर्ड के जरिए वैट विभाग के खाते में बिना पैसा जमा किए ही उसकी एंट्री कर देते थे. जिससे खातों में तो टैक्स जमा हुआ दिखाई देता था, लेकिन वास्तव में पैसा जमा नहीं किया गया था. विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह सारा खेल दिल्ली वैल्यू एडेड टैक्स डिपार्टमेंट में रजिस्टर्ड कारोबारियों द्वारा किया जा रहा था. वैट विभाग के विभिन्न 27 बैंकों में खाते हैं, जिनमें से 13 बैंक खातों में गड़बड़ी मिली है.